कहा जाता है कि परिवर्तन हमेशा अच्छा होता है। लेकिन बेवजह और बगैर तर्क के किया गया बदलाव ऐसा घाव दे जा सकता है जिसका दर्द आने वाली नस्लों को भी उठाना पड़ता है। ऐसा ही एक बदलाव सेंट्रल विस्टा में जल्द देखने को मिल सकता है जो भारत का सबसे पसंदीदा नेशनल स्पेस यानी एक राष्ट्रीय प्रांगण है।
सेंट्रल विस्टा- ऐतिहासिक विरासत को मिटाने की कोशिश?
- विचार
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- 19 Nov, 2020

पुराने संसद भवन की जगह पर नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ का फिर से विकास किया जाना है। इसी को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट ना दिया गया है।
जब भी लोग अपने हकोहुकूक और उसूलों के लिए एकजुटता जताने, विरोध प्रदर्शन या अपने सुख-दुख बाँटने की बात सोचते हैं तो ज़ाहिर है कि वह जगह इंडिया गेट ही होती है। कोई कैसे भूल सकता है यहाँ निर्भया के लिए संवेदना और एकजुटता का प्रदर्शन? कौन भूल सकता है कि इसी जगह देश की आज़ादी के पचासवीं सालगिरह मनाने के लिए इंसानों का समंदर उमड़ आया था?
इसी तरह सियासी तमाशे! दिल्ली के नए मुख्यमंत्री की भारी बारिश में वैगन-आर कार में कैबिनेट मीटिंग; शहीद सैनिकों के नाम पर बनाए गए इंडिया गेट के साए में रिटायर्ड फौजियों का वन-रैंक-वन पेंशन के लिए एकजुट होना। सैकड़ों, अनगिनत विरोध प्रदर्शन यहीं हुए हैं - सीएए क़ानून, प्रदूषण, दिल्ली के दंगे या बलात्कार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन। इसीलिए यह राष्ट्रीय प्रांगण देश की जनता के दिल और रूह से जुड़ा हुआ है।