हिन्दुस्तान ने अपना सेना प्रमुख खो दिया। अत्यंत आधुनिक विमान हवा में हादसे का शिकार हो गया। इस घटना पर दुनिया स्तब्ध है लेकिन हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का व्यवहार चौंकाने वाला है। बीजेपी ने इस अवसर का इस्तेमाल विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस और किसान आंदोलन के चेहरा रहे राकेश टिकैत पर हमला करने में किया। जनरल बिपिन रावत मौत के बाद चुनावी सियासत का हथियार बन गये।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें गोवा पहुंची प्रियंका गांधी का स्वागत स्थानीय लोग लोकनृत्य करते हुए दिख रहे हैं। खुद प्रियंका भी ताल में ताल मिला रही हैं। इस वीडियो के आते ही बीजेपी के नेता और गोदी मीडिया कांग्रेस को देश विरोधी और सेना विरोधी साबित करने में जुट गये।
एक टीवी डिबेट में बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला यह कहते हुए सुने गये- “प्रियंका नाचो, कांग्रेसियों ताली बजाओ।”
इसी डिबेट में पूर्व सेनाधिकारी एस एन सिन्हा प्रियंका गांधी को नचनिया भी कहते सुने गये। ये वही सैन्य अधिकारी हैं जो कुछ समय पहले बलात्कार की घटना का जवाब बलात्कार से देने की बात टीवी चैनल पर कह चुके हैं।
गोवा में जिस कार्यक्रम का वीडियो बीजेपी ने शेयर किया है उस कार्यक्रम की शुरुआत ही जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। जाहिर है कि कार्यक्रम हुए हैं, लोकनृत्य हुए हैं तो तालियां भी बजी हैं और हंसी-मुस्कान भी हुआ है। अगर ये गलत है तो क्या यह कहा जा सकता है कि देश के किसी हिस्से में ऐसे दृश्य नहीं हुए होंगे?
देश की बात को एक तरफ ही रहने दें और केवल उस पार्टी की ही बात कर लें जो यह सवाल उठा रही है।
क्या बीजेपी नेताओं ने देशभर में खुद को ऐसे कार्यक्रमों से दूर रखा जो जनरल बिपिन रावत की मौत पर गमजदा माहौल के बीच ठीक वैसे ही उचित नहीं है जैसे प्रियंका गांधी का लोकनृत्य का हिस्सा बनना?
राजकीय शोक के बीच उद्घाटन
उत्तर प्रदेश ने जनरल बिपिन रावत के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है जो 11 दिसंबर तक चलेगा। इसके बावजूद 9 दिसंबर और 10 दिसंबर को सीतापुर, आजमगढ़, गाजीपुर समेत कई स्थानों पर लोकार्पण और शिलान्यास के सरकारी कार्यक्रम हुए। इस दौरान खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जो तस्वीरें साझा की हैं उनमें हंसी-खुशी, तालियां, हर्ष का खुलेआम इजहार हुआ है।
जनपद आजमगढ़ में विभिन्न विधानसभाओं के सर्वांगीण विकास हेतु वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों एवं माननीय जनप्रतिनिधियों के साथ कुल 242 विभागीय परियोजनाओं (लागत 454.89 करोड़ रुपये) का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। pic.twitter.com/I0HEBu0IZy
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) December 10, 2021
किसी प्रदेश में राजकीय शोक रहते (यूपी में 11 दिसंबर तक राजकीय शोक) क्या ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं? क्या प्रधानमंत्री को इसमें हिस्सा लेना चाहिए? मगर, यह सवाल कौन पूछेगा? खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस समारोह का ट्वीट कर प्रचार कर रहे हैं।
I would be in Balrampur, Uttar Pradesh tomorrow, 11th December for a very special programme- inauguration of the Saryu Nahar National Project. This project will solve irrigation related problems in Eastern UP and help our hardworking farmers. https://t.co/FiEaGt1qDl
— Narendra Modi (@narendramodi) December 10, 2021
कल नशेड़ी पत्रकार की श्रद्धांजलि देखी।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) December 10, 2021
आज कानपुर के BJP विधायक विनोद कटियार की खिलखिलाती श्रद्धांजली देख लो।#बिपीन_रावत_श्रद्धांजली pic.twitter.com/8SW2DuwkhD
टिकैत के ख़िलाफ़ नारेबाजी
जनरल बिपिन रावत के अंतिम दर्शन के लिए जब राकेश टिकैत पहुंचे तो उनके खिलाफ नारेबाजी होती दिखी। क्या अब सेना प्रमुख की मौत का अवसर किसानों के खिलाफ इस्तेमाल होगा? राजनीति का स्तर क्या इससे भी नीचे जा सकता है?
जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं हुई क्योंकि इसकी घोषणा पूर्व व वर्तमान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर होती है। महात्मा गांधी जरूर अपवाद थे।
राजकीय शोक की घोषणा अलग-अलग प्रदेशों ने की। गोवा में 3 दिन के राजकीय शोक की घोषणा नहीं हुई जबकि, उत्तर प्रदेश में ऐसी घोषणा हुई। मगर, इस घोषणा का क्या मतलब अगर उत्तर प्रदेश में सरकारी कार्यक्रम पूर्ववत होते रहें।
प्रधानमंत्री ऐसे कार्यक्रम में शरीक हों तो समझ में आता है क्योंकि देश में राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं हुई है। मगर, मुख्यमंत्री अपने ही प्रदेश में राजकीय शोक का अपमान कैसे कर सकते हैं? और, वह भी प्रधानमंत्री की मौजूदगी और भागीदारी के बीच? 11 दिसंबर की तारीख ऐसी ही तस्वीर की गवाह बनने वाली है।
प्रियंका गांधी की तस्वीर पर सवाल उठा रहे बीजेपी नेताओं से पूछा जा सकता है कि जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद आखिर किस बीजेपी नेता ने सोनिया गांधी की तरह अपना जन्म दिन नहीं मनाने का फैसला करने की पहल की? क्या यह सेना के प्रति कांग्रेस का सम्मान नहीं है?
9 दिसंबर को तेजस्वी यादव ने अगर शादी कर ली तो सेना का अपमान हो गया? कैटरीना-विक्की ने अगर उसी दिन 7 फेरे ले लिए तो यह मान लिया जाए कि उनके मन में सेना के लिए कोई सम्मान नहीं है?
क्या बीजेपी दूसरों को देशविरोधी और सेना विरोधी बताकर खुद को देशभक्त बनाने की घिसीपिटी लाइन पर चलती रहेगी?
अपनी राय बतायें