विपक्षी नेताओं के घरों और ठिकानों पर सरकारी एजेंसियों के छापों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है। यह नाम है आप नेता मनीष सिसोदिया का। उन पर आरोप है कि उन्होंने आप सरकार की आबकारी नीति में बदलाव कर शराब व्यापारियों को ग़लत तरह से फ़ायदा पहुँचाया और सरकारी ख़ज़ाने को चूना लगाया। दिल्ली के नये उप राज्यपाल ने पद की ज़िम्मेदारी सँभालते ही मुख्य सचिव से रिपोर्ट तलब कर सीबीआई जाँच के आदेश दे दिये थे। बाद में आबकारी विभाग के 11 अधिकारियों को इसी मामले में उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सस्पेंड भी कर दिया था।
गुजरात, हिमाचल चुनाव जीतने के लिए सिसोदिया पर छापे?
- विचार
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- आशुतोष
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- 19 Aug, 2022

ज़ाहिर है कि यह मामला आप के जी का जंजाल बन गया है। ख़ासतौर पर तब जबकि इस विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया के प्रेस कांफ्रेंस कर यह कहने के बाद कि शराब नीति में जो भी गड़बड़ी है उसके लिये पूर्व उप राज्यपाल अनिल बैजल ज़िम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने आख़िरी समय में आप सरकार की भेजी फ़ाइलों में हेर फेर किया था और बीजेपी के कुछ नेताओं को फ़ायदा पहुँचाया था। यानी मनीष सिसोदिया ने खुद ही यह मान लिया कि शराब नीति में कुछ न कुछ गड़बड़ तो है। उन्होंने यह मान लिया था कि उप राज्यपाल की वजह से ही सरकारी ख़ज़ाने में जितना राजस्व आना चाहिये वो नहीं आया यानी चूना लगा। जबकि इसके पहले वो कह रहे थे कि शराब नीति में बदलाव के कारण राजस्व में इज़ाफ़ा हुआ और सरकार को अतिरिक्त 2000 करोड़ का लाभ मिल सकता है। तो क्या ये सारे दावे झूठे थे?
- Ashutosh
- CBI
- Manish Sisodia