क्या यह तख्ता पलट की कोशिश थी, हथियारबंद विद्रोह था या सिर्फ़ हिंसक विरोध प्रदर्शन था? अमेरिका की सर्वोच्च विधायिका की इमारत कैपिटल हिल पर राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के समर्थकों के हमले के बाद अमेरिका में यह तकनीकी और क़ानूनी बहस शुरू हो गई है। जब सारे निर्वाचित सदस्य मिलकर हाल में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को स्वीकृति देनेवाले थे, उस वक़्त यह हमला किया गया। हमला करने वाले इमारत में घुस गए। पुलिस, नेशनल गार्ड उन्हें रोकना चाहते हों, ऐसा तस्वीरों से नहीं लगा। हमलावरों में एक घायल का उपचार करते हुए एक सुरक्षाकर्मी की तस्वीर तो है ही, इमारत में उन्हें घुस जाने से रोकने में उन्हें दिलचस्पी हो, ऐसा उनकी किसी मुद्रा से नहीं लगता। पुलिस और सुरक्षा गार्ड और हमलावर साथ-साथ सेल्फी लेते हुए देखे गए। लूटमार हुई। स्पीकर नैंसी पलोसी के कमरे में घुसकर उनकी कुर्सी पर बैठकर मेज पर पाँव चढ़ाए हमलावर दीख रहा है।
कैपिटल हिल में हिंसा: जी हाँ, भारत और अमेरिका में फ़र्क़ है!
- विचार
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- 9 Jan, 2021
अमेरिका और भारत में फ़र्क़ है। अमेरिका के सभ्य समाज ने ट्रम्प को स्वीकार नहीं किया। भारत के सभ्य समाज ने नरेंद्र मोदी को सर आँखों पर बिठाया। अमेरिका में लगातार सावधान किया गया कि हिंसक भीड़ और ट्रम्प में फ़र्क़ नहीं है, भारत में कहा गया कि बेचारे नेता की बात उसके अनुयायी नहीं सुन रहे। दूसरा फ़र्क़ शैली का था।