किसी भी बीमारी के संदर्भ में आदर्श वाक्य है - ‘सावधानी और रोकथाम ही सुरक्षा है।’ लेकिन COVID-19 यानी कोरोना वायरस के मामले में यह आदर्श वाक्य एक लाचारी बन गया है। क्योंकि इस वायरस से बचने का कारगर टीका या दवा की टिकिया दुनिया का कोई भी आविष्कारक अब तक विकसित नहीं कर पाया है। तथ्य यह भी है कि इस वायरस को झेलने या उपचार करने का किसी जीवित व्यक्ति को अनुभव नहीं है। इसीलिए दुनिया भर के चिकित्सक कोई दवा खाने की नहीं बल्कि मात्र सावधानी बरतने की सलाह ही दे पा रहे हैं।
कोरोना से निपटने के लिये कितना तैयार है भारत?
- विचार
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- 18 Mar, 2020

जब चीन और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश कोरोना वायरस का मुक़ाबला नहीं कर पा रहे हैं तो हम कैसे करेंगे? मुश्किल यह है कि हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहद ख़राब हैं।
दूसरे देशों से आए या लाए गए लोगों को क्वारेन्टाइन और आइसोलेट करना ही इसके प्रसार को रोकने का उपाय बताया जा रहा है। यह उम्मीद तो है कि टीका और दवा बना ली जाएगी लेकिन तब तक यह वायरस दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित कर चुका होगा और लाखों लोगों को लील चुका होगा!
विजयशंकर चतुर्वेदी कवि और वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने कई मीडिया संस्थानों में काम किया है। वह फ़िलहाल स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करते हैं।