जीत का नशा सिर चढ़ कर बोलता है। इसे संभाल कर रखना बहुत बड़ी चुनौती है। किसी भी सियासी पार्टी के पाँव बहकने का ख़तरा बना रहता है। 36  बरस पहले राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के साथ ऐसा ही हुआ था। अब नरेंद्र मोदी सरकार के साथ भी यही हो रहा है।