साल 2019 से बीजेपी की मूल राजनीति को पहचानने के लिए मैं एक नई अवधारणा पेश करना चाहता हूँ- 'जिम क्रो हिन्दू राष्ट्रवाद'। इससे हमें बीजेपी की मौजूदा राजनीति और पिछली बार जब उसने दिल्ली पर राज किया था, उस समय की राजनीति के बीच के अंतर को समझने में मदद मिलेगी। यह भी महत्वपूर्ण है कि इससे बीजेपी के भारत और नात्सियों के जर्मनी के बीच का अंतर का पता चलता है। दुनिया के कई जगहों पर भारत की तुलना जर्मनी से की जा रही है।
क्या मोदी सरकार की विचारधारा 'जिम क्रो' हिंदुत्व है?
- विचार
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- 9 Nov, 2021

क्या बीजेपी और आरएसएस की राजनीति भारत को ऐसे काल खंड में ले जाना चाहती है, जिसकी तुलना अमेरिका में अश्वेतों की ग़ुलामी वाले समय से की जा सकती है? ब्राउन यूनिवर्सिटी के सोल गोल्डमैन प्रोफ़ेसर आशुतोष वार्ष्णेय ने इसे 'जिम क्रो हिन्दुत्व' का नाम दिया है। क्या है मामला? पढ़ें 'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपे उनके लेख 'जिम क्रो हिन्दुत्व' का अनुवाद।
'जिम क्रो' दरअसल क्या चीज है? यह एक नाटक है, जिसमें अश्वेत अमेरिकियों को बुरी हालत में दिखाया गया है। यह शब्दावली कुल मिला कर ऐसे नियमों और स्थितियों को लेकर है, जिसमें अश्वेत अमेरिकियों को मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया गया, पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी गई, उनकी बस्तियाँ अलग-थलग कर बसाई गईं, उनके स्कूल, चर्च, कारोबार और सामाजिक जीवन- सब कुछ अलग कर दिया गया था। दो नस्लों के लोगों के बीच के विवाह को ग़ैरक़ानूनी कर दिया गया, दो नस्लों के लोगों, ख़ास कर अश्वेत पुरुष और गोरी महिला के बीच के सेक्स पर कड़ी सज़ा दी गई। साल 1890 तक अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में इस तरह के नियम और रिवाज ने संस्थागत रूप ले लिया था। इस तरह अमेरिका में 'जिम क्रो दक्षिण' बना दिया गया था।