गुजरात में इस साल 15 अगस्त को सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी 11 लोगों की जेल से रिहाई के बाद अब उन सभी बलात्कारियों और हत्यारों के लिए मुक्ति का द्वार खुल गया है जो 20 साल पहले हुए गुजरात दंगों में इन अपराधों के दोषी पाए गए थे। शर्त बस यह है कि उनकी सज़ा का फ़ैसला 2014 से पहले हुआ हो ताकि उनको 1992 की उस नीति का फ़ायदा मिल जाए जिसमें बलात्कारियों-हत्यारों तक को सज़ा में छूट का अधिकार प्राप्त था।