बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद पवन वर्मा के बाद पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को भी खुली चेतावनी दे डाली। नीतीश कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर अगर पार्टी छोड़कर जाना चाहते हैं तो जाएँ। यहाँ ट्विटर की राजनीति नहीं चलती। पार्टी में रहना है तो उन्हें पार्टी लाइन पर चलना होगा। नीतीश ऐसी ही चेतावनी पवन वर्मा को भी दे चुके हैं। जनता दल यूनाइटेड की बैठक के बाद नीतीश ने चेतावनी तो दी, लेकिन पवन वर्मा या प्रशांत किशोर के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। वास्तव में नीतीश नाराज़ हैं या फिर उनकी चेतावनी पार्टी की रणनीति का हिस्सा है? इसे समझने के लिए पार्टी के ताज़ा विवाद पर ग़ौर करना ज़रूरी है।

बिहार विधानसभा का चुनाव नवंबर में होना है। इस लिहाज़ से ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो गए हैं। अति पिछड़ा और अति दलित के साथ-साथ मुसलमान और कुछ सवर्ण जातियाँ नीतीश का सबसे बड़ा संबल हैं। मुसलमान अगर पूरी तरह से छिटक जाएँ तो नीतीश का आधार कमज़ोर हो सकता है। ऐसे में पार्टी नेताओं में आपसी मतभेद से कितना बड़ा नुक़सान होगा?
जनता दल यूनाइटेड में बाग़ी सुर सिर्फ़ कुछ नेताओं की जुबानी जुगाली है या फिर पार्टी किसी वैचारिक अंतरद्वंद्व से गुज़र रही है। पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा थोड़ा शांत हुए तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर शुरू हो गए हैं। प्रशांत पटना में उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी पर निशाना साध रहे हैं तो दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह उनके रडार पर हैं।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक