एक अत्यधिक परेशान करने वाले घटनाक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय में 20 अगस्त 2019 की रात शहीद भगत सिंह और नेताजी की मूर्तियों को वी डी सावरकर की मूर्ति के साथ एक ही पीठिका पर रखकर अनावरण करने का दुस्साहस किया गया। भगत सिंह और नेताजी जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए प्राण तक न्यौछावर कर दिए थे। देश और दुनिया अभी इस सचाई को भूली नहीं है कि भगत सिंह और नेताजी ने एक ऐसे आज़ाद समावेशी भारत के लिए जान दी जो लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष होना था। एक ऐसा देश जहाँ धर्म-जाति का बोलबाला नहीं बल्कि समानता और न्याय फले-फूलें। इन शहीदों ने 'इंक़लाब ज़िंदाबाद' और 'जय हिन्द' जैसे नारों की ललकार से अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ देश की जनता को लामबंद किया था।