अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों के आरक्षण में क्रीमी लेयर का मसला एक बार फिर चर्चा में है। लंबे समय से इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि आरक्षण पाने वाले वंचित तबक़े के जो लोग समृद्ध हो गए हैं, उन्हें सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ न दिया जाए। अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण लागू होने के समय से ही इस वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर को बाहर रखने की व्यवस्था है। ऐसे में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) के आरक्षण में क्रीमी लेयर की व्यवस्था की बात चल रही है।
फिर उठा एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर का मसला
- विचार
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- 3 Dec, 2019

लंबे समय से यह कहा जा रहा है कि आरक्षण पाने वाले वंचित तबक़े के जो लोग समृद्ध हो गए हैं, उन्हें सरकारी नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ न दिया जाए।
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यों की संवैधानिक बेंच ने 2018 में कहा था कि एससी-एसटी समुदाय के समृद्ध लोगों यानी कि क्रीमी लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार ने 2 दिसंबर 2019 को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि एससी-एसटी समुदाय के क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभों से बाहर रखने वाले 2018 के उसके आदेश को सात सदस्यों की बेंच के पास पुनर्विचार के लिए भेजा जाए।