देश भर से मज़दूरों और ग़रीब तबक़े में असंतोष होने की ख़बरें आ रही हैं। लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी है, उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ चुकी है। मगर केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही। उसके गोदाम अनाज से भरे हुए हैं, चूहे उसे खा रहे हैं, वह सड़ रहा है। मगर उन लोगों को नहीं मिल रहा जो भूखे हैं, भूख से मर रहे हैं।
गोदाम भरे हैं फिर भी ग़रीबों तक राशन क्यों नहीं पहुंचा रही मोदी सरकार?
- विचार
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- 18 Apr, 2020

देश भर से ख़बरें आ रही हैं कि मज़दूर और ग़रीब तबक़े को दो वक्त का खाना नहीं मिल पा रहा है। सरकार के गोदाम अनाज से भरे हुए हैं, तो वह इसे ग़रीबों में बांटती क्यों नहीं?
एक ग़ैर सरकारी संगठन स्वैन के सर्वे के मुताबिक़ करीब 96 फ़ीसदी लोगों तक किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं पहुँची है। यह सर्वे 13 अप्रैल को करवाया गया था यानी लॉक डाउन घोषित होने के बीसवें दिन। सोचा जा सकता है कि सरकार ने कितनी सुस्त रफ़्तार से ग़रीबों की मदद के लिए क़दम उठाए। इसमें उसकी संवेदनहीनता और अगंभीरता दोनों झलकती है।