अगले डेढ़ साल में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा एक ऐसे समय पर आया है जब बहुत से नौजवान या तो इसकी उम्मीद छोड़ चुके हैं या एक बड़ी संख्या रोजगार पाने की उम्र को ही पार कर चुकी है। यह जरूर है कि इससे सरकार समर्थकों को एक ढोल मिल गया है जिसे वे अगले आम चुनाव तक वोट बटोरने के लिए लगातार पीट सकते हैं। कोई नहीं जानता कि ये नौकरियां कहां, कैसे, किन्हें और कब मिलेंगी।

बेरोजगारी को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आई मोदी सरकार क्या अब इस मुद्दे पर कुछ ठोस कर पाएगी?