शुद्ध मन से की गयी कोई भी पहल स्वागत योग्य या आदर के योग्य होती है। बीजेपी और ख़ासतौर पर मोदी के शासन के बाद एक ऐसी ही पहल की ज़रूरत थी। कहना न होगा कि ‘सत्य हिंदी’ की पहल कुछ ऐसी ही सोच के साथ की गयी या होगी। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि यह हमारा मात्र अनुमानभर है। लेकिन जब अच्छे और बड़े नाम इससे जुड़े मसलन, अपूर्वानंद, उर्मिलेश आदि और उन्होंने इसकी वेबसाइट पर लिखना शुरू किया तो हमने मान लिया कि तीन-चार लोगों की यह पहल ग़ौरतलब है। इसके चलते साहित्य जगत में 'नई कहानी' का आंदोलन याद हो आया जो राजेंद्र यादव, कमलेश्वर और मोहन राकेश की पहल से शुरू हुआ था।