उस्मानाबाद के शिवसेना विधायक कैलास पाटिल विद्रोही विधायकों के खेमे से भाग निकले। सूरत जाते समय पाटिल गुजरात सीमा चौकी के पास से भाग निकले और उद्धव ठाकरे के पास वापस चले गए।
पाटिल ने 5 किलोमीटर पैदल चलकर मुंबई जाने के लिए एक बाइक और एक ट्रक की सवारी की। उन्होंने शिवसेना प्रमुख से भी संपर्क किया और उन्हें सारी जानकारी दी।
शिवसेना के एक पदाधिकारी ने कहा, एमएलसी चुनाव का मतदान समाप्त होने के बाद, कुछ विधायकों को बताया गया कि ठाणे में रात के खाने की योजना है और उन्हें वहां जाना है। बिना सोचे समझे, पाटिल चले गये, लेकिन जल्द ही उसे कुछ गड़बड़ महसूस हुई क्योंकि कार घोड़बंदर रोड की ओर बढ़ गई। सोमवार को मतदान समाप्त होने के बाद विधायकों को तीन के समूह में अलग-अलग कारों में ले जाया गया। पाटिल भी शाम साढ़े पांच बजे वोट डालने के बाद विधानसभा से निकल गए। एक बार जब वे तलासरी पहुंचे, तो पाटिल ने बहाना बनाया और कहा कि उनकी तबियत खराब लग रही है वो कार से उतरना चाहते हैं। अंधेरे में सड़क के किनारे लगी झाड़ियों के अंदर से पाटिल दूसरी दिशा में भागने लगे।
पाटिल ने कहा, उन्होंने कुछ किलोमीटर तक बाइक पर सवारी की। फिर मुंबई की ओर जा रहे एक ट्रक ड्राइवर से भी अनुरोध किया कि वह उन्हें लिफ्ट दें। वह दोपहर करीब 1.30 बजे दहिसार चेक पोस्ट पहुंचे। इसके बाद उन्होंने वर्षा (सीएम ऑफिस) से संपर्क किया। सीएम के कर्मचारियों ने एक वाहन की व्यवस्था की, जो उन्हें सुबह करीब 2.15 बजे मालाबार हिल ले गया।
इससे पहले विधायक नितिन देशमुख ने भी अपहरण का आरोप लगाया था। वो भी सूरत से भाग निकले थे। उन्हें तो गुजरात पुलिस ने जबरन अस्पताल में भर्ती करा दिया था और वहां उन्हें जबरन इंजेक्शन लगाया गया। उनकी पत्नी ने सोमवार को ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि मेरे पति लापता हैं। इस तरह बागी विधायकों का मामले में यह साफ हो रहा है कि कुछ विधायक जबरन ले जाए गए थे।
सूत्रों का कहना है कि कैलाश पाटिल के जरिए ही पार्टी को पता चला है कि बहुत सारे विधायकों को जबरन गुजरात और वहां से असम ले जाया गया है। इसीलिए उद्धव और संजय राउत ने कहा कि अगर शिवसेना विधायक सामने आकर कहें तो उद्धव इस्तीफा दे देंगे। बहुत मुमकिन है कि सारे बागी विधायक जब भी मुंबई आएंगे तो शायद उनमें से कुछ वापस शिवसेना में लौटने की घोषणा कर दें।
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