चर्चेतून मार्ग निघू शकतो.
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) June 23, 2022
चर्चा होऊ शकते.
घरचे दरवाजे उघडे आहेत..
का उगाच वण वण भटकताय?
गुलामी पत्करण्यापेक्षा स्वाभिमानाने निर्णय घेऊ!
जय महाराष्ट्र!
शिवसेना और महा विकास आघाडी सरकार पर आए बड़े संकट के बीच संजय राउत का अहम बयान सामने आया है। संजय राउत ने गुरुवार दोपहर एक पत्रकार वार्ता में कहा कि अगर पार्टी से बगावत करने वाले विधायक 24 घंटे में मुंबई लौट आते हैं तो पार्टी महा विकास आघाडी गठबंधन से बाहर निकलने की उनकी मांग पर विचार करने के लिए तैयार है। इसके कुछ देर बाद राउत ने ट्वीट करके कहा कि विद्रोहियों के लिए दरवाजे खुले हैं। गुलामी से बेहतर है शिवसेना में रहना।
बता दें कि महा विकास आघाडी गठबंधन में शिवसेना के अलावा कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल हैं। एकनाथ शिंदे और अन्य बागी विधायकों की ओर से यह मांग रखी गई है कि शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ देना चाहिए।
तेजी से बदल रहे सियासी माहौल के बीच अब जब शिवसेना के पास सिर्फ 13 विधायक होने की बात सामने आई है तो पार्टी ने अपना रुख बेहद नरम किया है और विधायकों से कहा है कि वे मुंबई लौटें और आकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सीधे बातचीत करें।
संजय राउत का यह बयान कि ‘गठबंधन से बाहर निकलने पर विचार करने के लिए तैयार हैं’ बेहद अहम है क्योंकि साल 2019 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब बीजेपी और शिवसेना के रास्ते अलग हुए थे और शिवसेना ने विपरीत विचारधारा वाले दलों कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी तब यह कहा गया था कि यह गठबंधन अगले 25 साल तक रहेगा।
संजय राउत राज्यसभा सांसद होने के साथ ही शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता भी हैं और तमाम बड़े मसलों पर उनकी राय को शिवसेना की राय माना जाता है।
महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष और ठाकरे सरकार में कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल ने ट्वीट कर कहा है कि एनसीपी अंत तक उद्धव ठाकरे के साथ मजबूती से खड़ी है।
शिवसेना से बगावत करने वाले विधायकों ने तमाम मीडिया चैनलों से बातचीत में इस बात को कहा है कि वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से नाराज नहीं हैं लेकिन वे चाहते हैं कि बीजेपी के साथ गठबंधन किया जाए और कांग्रेस और एनसीपी से किनारा किया जाए।
लेकिन विधायकों के लौटने के बाद क्या शिवसेना उनकी मांग पर ध्यान देगी और इसके लिए जरूरी शर्त कि आघाडी से बाहर निकला जाए, क्या उसे मानेगी? ऐसा करना उसके लिए आसान नहीं होगा लेकिन उसने विचार करने की बात कहकर हलचल जरूर पैदा कर दी है।
अब सारी नजरें एकनाथ शिंदे के अगले कदम पर लगी हैं कि वह कब मुंबई लौटेंगे और विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल को कब सौंपेंगे।
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