अमिताभ बच्चन ने साल 1984 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद लोकसभा सीट पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कई बार केंद्रीय मंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा को एक लाख 87 हज़ार मतों से पराजित किया था। इस हार से बहुगुणा इतने विचलित हो गए थे कि सक्रिय राजनीति से ही संन्यास ले लिया।
बहुगुणा राजनीति की ऐसी शख़्सियत थीं जिन्होंने इंदिरा गाँधी को भी झुकाया था। बहुगुणा जवाहर लाल नेहरू कैबिनेट में भी मंत्री हुआ करते थे। जब इंदिरा गाँधी का दौर आया तो उन्होंने बहुगुणा को संचार विभाग में जूनियर मिनिस्टर का पद दिया लेकिन नाराज बहुगुणा ने 15 दिन तक मंत्री का चार्ज ही नहीं लिया। बाद में कुढ़कर इंदिरा गाँधी ने उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया था।
अमिताभ ने बहुगुणा की सियासी पारी का अंत किया तो फ़िल्मों से राजनीति में आये गोविंदा ने भी ऐसी ही कहानी कांग्रेस के टिकट पर साल 2004 के लोकसभा चुनावों में लिखी। इस बार कांग्रेस उर्मिला मातोंडकर के सहारे वही प्रयोग दोहराना चाहती है।
मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर कभी बीजेपी के राम नाइक का कब्जा हुआ करता था। नाइक इस सीट से लगातार 5 बार सांसद बने थे और इन लगातार जीत के कारण उनका नाम भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन तीन प्रमुख नेताओं अटल-आडवाणी -मुरली मनोहर जोशी के बाद लिया जाने लगा था।
अपनी आम आदमी की छवि के चलते राम नाइक यहाँ से हर बार जीत दर्ज कराते आ रहे थे, लेकिन 2004 में फ़िल्म अभिनेता गोविंदा ने उन्हें हराकर उनकी चुनावी राजनीति पर पूर्ण विराम लगा दिया। वर्तमान में राम नाइक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल हैं।
अमिताभ ने बोफ़ोर्स कांड के घेरे में आने के चलते राजनीति को अलविदा कह दिया तो गोविंदा ने भी पार्टी संगठन में अपनी उपेक्षा के आरोप लगाकर अगला चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।
मुंबई उत्तर लोकसभा सीट में बोरीवली, दहिसर, मगाथाने, कांदिवली पूर्व, चारकोप और मलाड पश्चिम विधानसभा सीट आती है। यहाँ की बोरीवली, दहिसर, कांदिवली पूर्व और चारकोप विधानसभा सीट पर बीजेपी, मगाथने में शिवसेना तो सिर्फ़ एक विधानसभा सीट मलाड पश्चिम कांग्रेस के खाते में है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या उर्मिला मातोंडकर जलवा दिखा पाएँगी?
कांग्रेस ने मराठी कार्ड खेला
उर्मिला के साथ एक बड़ी सहानुभूति है, वह है उनका मराठी होना। उनको टिकट देते ही कांग्रेस ने यह मुद्दा भी उछाल दिया है। अब राजनीतिक पंडित यह कयास लगाने लगे हैं कि गोपाल शेट्टी ग़ैर मराठी हैं और बीजेपी के टिकट पर लड़ रहे हैं ऐसे में शिवसेना को मिलने वाला मराठी वोट उर्मिला के खाते में जा सकता है।
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