इस्तीफा देने से कुछ घंटे पहले उद्धव ठाकरे सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम बदले जाने को लेकर एआईएमआईएम ने नाराजगी जताई है। ठाकरे कैबिनेट ने बुधवार को औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धराशिव रखे जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास किया था। इसके साथ ही नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम किसान नेता डीबी पाटील के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव भी सरकार ने पास किया।
दूसरी ओर शिवसैनिकों ने इस फैसले पर खुशी का इजहार किया।
लेकिन औरंगाबाद से एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने कहा है कि उद्धव ठाकरे को जाते-जाते संभाजी महाराज की याद आ गई। उन्होंने कहा कि जब उद्धव ठाकरे की कुर्सी सरकने लगी तब उन्होंने यह फैसला लिया। जलील ने कहा कि वह उद्धव ठाकरे और शिवसेना को यह बताना चाहते हैं कि नाम बदले जा सकते हैं लेकिन इतिहास नहीं बदला जा सकता।
पुरानी है मांग
शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने सबसे पहले 1988 में औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखने का प्रस्ताव रखा था। 1995 में जब औरंगाबाद नगर निगम में शिवसेना-बीजेपी सत्ता में थे, तब इस शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया गया था। शिवसेना नेता मनोहर जोशी के मुख्यमंत्री रहते हुए सरकार की ओर से इसे लेकर नोटिफ़िकेशन भी जारी किया गया था।
छत्रपति संभाजी महाराज एक मराठा योद्धा थे जबकि औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह औरंगज़ेब के नाम पर रखा गया था।
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शिव सेना लंबे वक़्त से मांग करती रही है कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर रख दिया जाए। लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस ने इस मांग का विरोध किया था। जबकि बीजेपी का कहना था कि औरंगाबाद का नाम बदलना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि यह आस्था का सवाल है और शिवसेना को अपने पुराने स्टैंड पर कायम रखना चाहिए।
आखिरकार सरकार के आखिरी दिन उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदल दिया।
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