महाराष्ट्र की सियासत में अब बीजेपी और शिव सेना के बीच खुलकर जंग हो रही है। मतलब यह कि शिव सेना और बीजेपी ऐसे लोगों को निशाना बना रहे हैं, जो इन दोनों दलों के क़रीब हैं या इन दलों में हैं। जब अर्णब गोस्वामी और कंगना रनौत ने उद्धव सरकार के ख़िलाफ़ ज़हर उगला तो महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी ने एक्शन लिया। और जब अर्णब के ख़िलाफ़ शिव सेना विधायक प्रताप सरनाइक ने आवाज़ उठाई तो ईडी उनके वहां छापेमारी करने पहुंच गई।
बीजेपी और मोदी सरकार पर आरोप लगा कि उसने शिव सेना और उद्धव के ख़िलाफ़ बोलने के लिए ही कंगना रनौत को जेड सिक्योरिटी से नवाज़ा। इस तरह दोनों ओर से पलटवार हो रहा है और फिर इसका रिएक्शन होगा और इस तरह यह लड़ाई बढ़ती जाएगी।
एसआईटी का गठन
इसमें ताज़ा घटनाक्रम यह है कि लड़ाई की आंच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक पहुंच गई है। महा विकास अघाडी सरकार ने फडणवीस के ड्रीम प्रोजेक्ट जलयुक्त शिवार योजना में हुए कथित घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। एसआईटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए 6 माह का वक़्त दिया गया है।
फडणवीस ने अपने कार्यकाल में सूखे की मुसीबत से निपटने के लिए इस योजना को शुरू किया था। जबकि महा विकास अघाडी सरकार ने इस योजना में घोटाले का आरोप लगाया है और इसे बंद कर दिया है। कहा गया है कि इस योजना में 10 हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ है।
उद्धव सरकार द्वारा इस मामले में एसआईटी का गठन करने का मतलब साफ है कि अब आमने-सामने की जंग होगी। शिव सेना का बीजेपी को साफ मैसेज है कि अगर आप हमारे लोगों पर हाथ डालोगे तो हम भी इसका अच्छा-खासा जवाब देंगे।
गिरीश महाजन के करीबियों पर कार्रवाई
मंगलवार को इन दोनों के बीच का घमासान तब और बढ़ गया था जब फडणवीस के क़रीबी और पूर्व मंत्री गिरीश महाजन के ख़ास लोगों से जुड़ी भाईचंद हीराचंद रायसोनी क्रेडिट सोसायटी पर महाराष्ट्र पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने छापामारी की थी। इस क्रेडिट सोसायटी में कथित घोटाला होने की बात कही गयी है।
इस मामले में बीजेपी से एनसीपी में गए वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे उसके लिए सिरदर्द साबित होने वाले हैं। गिरीश महाजन के ख़ास लोगों की इस क्रेडिट सोसायटी पर छापे की कार्रवाई के पीछे खडसे द्वारा की गई शिकायत है।
एकनाथ खडसे ने कहा है कि अभी इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू में चल रही है। एक बार यह प्रक्रिया हो जाए तो फिर वह एक-दो दिन में सबूतों के साथ इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश करेंगे जिसमें बीजेपी के सांसद व नेताओं के नाम सामने आएंगे।
महाजन के बाद फडणवीस पर शिकंजा कसने को उन चर्चाओं का भी जवाब माना जा रहा है जिसमें बीजेपी के बड़े नेता दो-तीन महीने में राज्य में बीजेपी की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे के अलावा ख़ुद फडणवीस ऐसे बयान दे चुके हैं।
देखिए, महाराष्ट्र की सियासत पर चर्चा-
राउत का हमला
ईडी ने जब शिव सेना विधायक प्रताप सरनाइक के घर और दफ़्तर पर छापेमारी की थी तो कहा गया था कि सरनाइक के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई अर्णब गोस्वामी के विरोध में विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लेकर लाने के कारण हुई है। सरनाइक ने आर्किटेक्ट अन्वय नाइक के मामले को फिर से खोले जाने की मांग भी उद्धव सरकार से की थी।
ईडी की इस कार्रवाई पर शिव सेना सांसद संजय राउत ने बीजेपी का नाम लिए बिना कहा था कि अगर आपने आज ये काम शुरू किया है तो हम इसे ख़त्म करना जानते हैं। राउत ने कहा था कि उसे (बीजेपी को) महाराष्ट्र की सत्ता में आने का सपना अगले 25 तक के लिए भूल जाना चाहिए।
अर्णब की गिरफ़्तारी से बढ़ा बवाल
आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में जब अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी हुई थी तो बीजेपी ने सीधे उद्धव ठाकरे पर हमला बोला था। पूरी बीजेपी ठाकरे को ‘सोनिया सेना’ बताने पर तुली हुई थी और इस क़दम की तुलना आपातकाल से की थी। इस मामले ने दोनों दलों के बीच चल रही लड़ाई की आग में घी डालने का काम किया था।
महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस?
कभी सालों तक साथ रहे और भगवा राजनीति करते रहे ये दोनों दल अब महाराष्ट्र में एक-दूसरे से जमकर दो-दो हाथ कर रहे हैं। ऐसी चर्चा है कि उद्धव सरकार की सत्ता से विदाई के लिए बीजेपी ऑपरेशन लोटस चला सकती है। पहले भी उसने एनसीपी नेता अजित पवार को तोड़कर राज्य में सरकार बनाने की कोशिश की थी लेकिन शरद पवार जैसे तर्जुबेकार राजनेता ने उसकी इस कोशिश को विफल कर दिया था।
फडणवीस और राव साहब दानवे जैसे बड़े नेताओं के बयान बताते हैं कि बीजेपी आलाकमान की नज़र महाराष्ट्र फतेह करने पर है लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि शिव सेना ने भी जंग लड़ने के लिए अपने तरकश में तीर सजा लिए हैं।
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