महाराष्ट्र की राजनीति के पुरोधा बाला साहेब ठाकरे ने प्रखर राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और मराठी अस्मिता के दम पर महाराष्ट्र में लंबे वक़्त तक राजनीति की। वह जब तक सियासत में रहे बेबाक और बेखौफ बने रहे। कहा जाता है कि वह जब तक रहे, उनके सामने शिवसेना के किसी नेता की छोड़िए, दूसरे दलों के नेता की भी नहीं चलती थी! लेकिन इसी शिवसेना के नेता अब बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के सामने खड़े हैं। वे सीधी चुनौती दे रहे हैं। वे उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से यानी सत्ता से हटाना चाहते हैं। आख़िर ऐसा बदलाव क्यों आया? क्या अब वह शिवसेना नहीं रही जो बाला साहेब ठाकरे के जमाने में थी? क्या उद्धव ठाकरे की शिवसेना अब बदल गई है?