2024 के लोकसभा चुनाव के बाद की स्थिति को लेकर एनसीपी शरदचंद्र पवार पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव के बाद कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस के करीब आएंगे। इसमें से कुछ का तो कांग्रेस में विलय भी हो सकता है।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार ने कहा है कि अगले कुछ वर्षों में, कई क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ अधिक निकटता से जुड़ेंगे।
या अगर उन्हें लगता है कि यह उनकी पार्टी के लिए सबसे अच्छा है तो वे कांग्रेस में विलय के विकल्प पर विचार कर सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या यह बात उनकी अपनी पार्टी एनसीपी पर लागू होती है, शरद पवार ने कहा, मुझे कांग्रेस और हमारे बीच कोई अंतर नहीं दिखता। वैचारिक रूप से, हम गांधी, नेहरू विचारधारा के हैं।
उन्होंने कहा कि, मैं अभी कुछ नहीं कह रहा हूं…अपने सहकर्मियों से सलाह किए बिना मुझे कुछ भी नहीं कहना चाहिए। वैचारिक रूप से, हम उनके (कांग्रेस) करीब हैं। आगे की रणनीति या अगले कदम पर कोई भी निर्णय सामूहिक रूप से लिया जाएगा।
शरद पवार ने कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल है। रिपोर्ट कहती है कि इंडियन एक्सप्रेस से 4 मई की रात को सतारा में उन्होंने बातचीत करते हुए इन मुद्दों पर बात की है।
सहयोगी दल शिव सेना (यूबीटी) के बारे में बोलते हुए कहा कि "यहां तक कि उद्धव (ठाकरे) भी (समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ) मिलकर काम करने को लेकर सकारात्मक हैं।
उन्होंने कहा, कि मैंने उनकी सोच देखी है यह बिल्कुल हमारी तरह है। शरद पवार ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र में चल रहे चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ एक "अंडरकरंट" महसूस हो रहा है। उन्होंने सुना था कि देश के कुछ अन्य हिस्सों जैसे यूपी में भी यही स्थिति थी।
सतारा में रैली का आयोजन राकांपा (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और आप द्वारा संयुक्त रूप से सतारा जिला परिषद मैदान में किया गया था। इसमें पवार के अलावा पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण और आप सांसद संजय सिंह भी शामिल हुए थे।
यही वह सतारा है जहां 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान भीगे हुए पवार ने भारी बारिश के बीच एक रैली को संबोधित करना जारी रखा था। तब उनकी भाषण देती यह तस्वीर वायरल हो गई थी।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पवार ने कहा है कि, राजनीतिक दलों का एक बड़ा वर्ग भाजपा और (नरेंद्र) मोदी को पसंद नहीं करता है, और वे (सार्थक रूप से) एक साथ आना शुरू कर रहे हैं।
देश में माहौल नरेंद्र मोदी के खिलाफ हो रहा है और हम गांधी और नेहरू के विचारों पर चलते हुए सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2019 और 2024 के बीच एक और अंतर है। उन्होंने कहा, पिछली बार के लोकसभा चुनाव की तुलना में कई अधिक युवा लोग खुद को विपक्षी दलों के साथ जोड़ रहे हैं।
स्थिति जनता पार्टी (1977 में) जैसी बन सकती है। चुनाव की घोषणा के बाद विभिन्न दलों के एक साथ आने के बाद जनता पार्टी का गठन किया गया था और उन्होंने सरकार बनाई।
तब, अब की तरह, विपक्ष ने चुनाव से पहले अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। बाद में मोरारजी देसाई को प्रधान मंत्री चुना गया।
राहुल गांधी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ बैठा रहे तालमेल
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पवार ने कहा है कि आज राहुल गांधी की स्वीकार्यता 1977 के मोरारजी देसाई से भी अधिक है। देसाई के विपरीत, उन्हें अपनी पार्टी में पर्याप्त समर्थन प्राप्त है। राहुल गांधी हम सभी (क्षेत्रीय पार्टियों) के साथ तालमेल बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि वह ईमानदारी से समान विचारधारा वाले लोगों को एक साथ लाना चाहते हैं। पवार ने याद किया कि कैसे राहुल ने उनसे मुलाकात की थी और उन्होंने कई विषयों पर गंभीर चर्चा की थी।
मैं बस इतना कह रहा हूं कि स्थिति की मांग है कि हम एक साथ काम करें, यही (विपक्ष में) सामान्य सोच है। अगर हम चुने जाते हैं तो हमें एक स्थिर सरकार देनी चाहिए।
पिछले दो वर्षों में राकांपा और शिवसेना में विभाजन का जिक्र करते हुए, पवार ने कहा कि जो लोग मोदी से जुड़ने के लिए गए थे, उन्हें लोग पसंद नहीं कर रहे हैं।
बारामती लोकसभा सीट जहां उनकी बेटी सुप्रिया सुले और उनके भतीजे अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के बीच मुकाबला है की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बारामती में हम जीत रहे हैं। अजीत पवार और पार्टी के बागियों को लेकर उन्होंने कहा कि राजनैतिक रूप से यदि वह वापस आना चाहते हैं, तो हम उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे।
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