एनसीपी की कमान सौंपने को लेकर लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच शरद पवार ने आख़िरकार पार्टी की कमान नए नेतृत्व को सौंपने का एलान कर दिया। 10 जून को राकांपा स्थापना दिवस पर पार्टी प्रमुख शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। सुले को महाराष्ट्र का प्रभारी भी बनाया गया, जिसे अजित पवार संभाल रहे थे। तो सवाल है कि इस फ़ैसले को अजित पवार क्या स्वीकार कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब सुप्रिया सुले ने दिया है।
एनसीपी की नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने अपने चचेरे भाई अजित पवार के उनकी पदोन्नति के बाद 'नाखुश' होने के दावों का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि यह सिर्फ़ कयासबाजी है। सुले ने एएनआई से कहा, 'कौन कहता है कि वह खुश नहीं हैं, क्या किसी ने उनसे पूछा है? रिपोर्ट गपशप हैं'। सुप्रिया सुले के आए बयान से एक दिन पहले शनिवार को अजित पवार ने भी अपने असंतोष की खबरों को खारिज करते हुए कहा था कि वह पार्टी के फैसले से खुश हैं।
अजित पवार ने मीडिया कर्मियों से कहा था, 'कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि मैं नाखुश हूँ कि पार्टी ने मुझे कोई ज़िम्मेदारी नहीं दी, यह ग़लत है। हमारी समिति उस समय बनाई गई थी जब शरद पवार ने इस्तीफा दे दिया था। उस समय दो फ़ैसले लिए जाने थे। पहला शरद पवार से अनुरोध करना था अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए और दूसरा सुप्रिया सुले को एक कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करना था और जब समिति का गठन किया गया था तब यह सुझाव दिया गया था।'
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र और बहुमत का सम्मान करने के कारण, मैंने इस्तीफे के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया क्योंकि नए नेतृत्व को मजबूत करना और आगे बढ़ाना है।'
शरद पवार के इस्तीफे के बाद गठित पैनल ने पांच मई 2023 को इस्तीफा स्वीकार करने से मना कर दिया था। अब एनसीपी पार्टी हाईकमान ने दो नए कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सबको चौंका दिया है।
प्रफुल्ल पटेल को राज्यसभा के साथ-साथ मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड और गोवा की ज़िम्मेदारी दी गई है। सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब के अलावा महिला, युवा और लोकसभा व केंद्रीय चुनाव अधिकार समिति की ज़िम्मेदारी दी गई है। तो सवाल है कि अब अजित पवार का क्या होगा? यही वह सवाल है जिसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे थे। फिलहाल तो अजित की नाराज़गी की ख़बरों को खारिज कर दिया गया है, लेकिन यदि अजित पवार नाराज़ हुए तो क्या असर हो सकता है?
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