महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही सियासी कुश्ती जारी है। चुनाव नतीजे आये हुए 10 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक राज्य में सरकार गठन की तसवीर साफ़ नहीं हो सकी है। शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में तल्खियां बढ़ती जा रही हैं। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाक़ात की है, वहीं शिवसेना नेता संजय राउत और रामदास कदम ने मुंबई में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात की है। इससे पहले भी ये दोनों दल राज्यपाल से अलग-अलग मुलाक़ात कर चुके हैं।
राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय राउत ने कहा कि गवर्नर से मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई है और बातचीत सकारात्मक रही है। राउत ने कहा कि राज्यपाल से शिष्टाचार मुलाक़ात हुई। शिवसेना प्रवक्ता ने कहा कि राज्यपाल से क़रीब एक घंटे तक चर्चा हुई और उन्होंने हमारी बात सुनी।
महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के बाद से ही सरकार गठन को लेकर अनिश्चचितता का माहौल है। बीजेपी और शिवसेना ने चुनाव तो साथ मिलकर लड़ा लेकिन सरकार के गठन को लेकर दोनों दलों की बातें अलग-अलग हैं। शिवसेना जहाँ 50-50 के फ़ॉर्मूले के तहत महाराष्ट्र की सत्ता में समान भागीदारी और ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का बंटवारा होने की बात कह रही है, वहीं बीजेपी किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री पद का बंटवारा नहीं होने देना चाहती।
शिवसेना की ओर से यह दावा करने के बाद कि उसके बाद 170 विधायकों का समर्थन है, यह संकेत मिल रहे हैं कि शिवसेना अब बीजेपी के साथ नहीं रहेगी। शिवसेना को विधानसभा चुनाव में 56 सीटें मिली हैं। माना जा रहा है कि शिवसेना को कांग्रेस के 44, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 54 और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल सकता है और ऐसे में ही यह आंकड़ा 170 के करीब पहुंचता है। संजय राउत यह भी कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा।
शिवसेना के तेवरों को देखकर यह स्पष्ट है कि वह किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेगी। क्योंकि चुनाव नतीजे आने के बाद से ही वह मुख्यमंत्री पद को लेकर बेहद आक्रामक है। संजय राउत संकेत दे चुके हैं कि महाराष्ट्र में सरकार का गठन अब बस एक क़दम दूर है। राउत ने कहा था, ‘हम पहले बीजेपी को सरकार बनाने का मौक़ा देंगे और उसके बाद उन्हें विधानसभा में हराकर नई सरकार बनाने का काम शुरू कर देंगे।’
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