शुक्रवार को मुंबई में हो
रही पार्टी की मीटिंग छोड़कर एक और कार्यक्रम में शामिल होने गये पुणे में अजित
पवार ने एक बयान दिया था कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के लिए 2024 तक का इंतज़ार क्यों करना। इसके अलावा पवार ने
यह भी कहा था कि एनसीपी ने कभी भी सीएम पद पर दावा नहीं किया।
उनके बयान के बाद
महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मची हुई है, और तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस मसले पर शिवसेना
(उद्धव गुट) ने प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना ने कहा कि अजित पवार की टिप्पणी से
साफ़ हो गया है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपना बस्ता
बांध लेने को कह दिया है।
शिवसेना की तरफ़ से इस
मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि अजित पवार ने जो कहा है,
उसका साफ़ मतलब यही है कि एकनाथ शिंदे को और
उनके गुट को अपना बस्ता बांधने को कह दिया गया है। यही कारण है कि एकनाथ शिंदे
अचानक से लो-प्रोफाइल बने हुए हैं और दबी जुबान से भाजपा द्वारा अजित पवार को
मुख्यमंत्री पद की पेशकश किए जाने की अटकलों के बारे में बोल रहे हैं।
राउत ने कहा कि अगर अजित
पवार मुख्यमंत्री पद पर दावा करते हैं, तो हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। हम किसी को भी उनकी महत्वाकांक्षाओं से
नहीं रोक सकते। उन्हें अपनी क़िस्मत आजमाने दीजिए, हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
शनिवार को जलगांव में एक
मीडिया से बात करते हुए राउत ने कहा कि किस्मत साथ होने की वजह से ऐसे लोग भी
मुख्यमंत्री बन गये जो इस पद के लायक नहीं थे। उनकी किस्मत साथ देती है तो अजित
पवार निश्चित रूप से मुख्यमंत्री बनेंगे। उनमें मुख्यमंत्री बनने की क्षमता है। वे
लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री रहे हैं, जो एक रिकॉर्ड है।
इससे पहले शुक्रवार को
अजित पवार ने पुणे के कार्यक्रम में शामिल होते हुए कहा, ‘एनसीपी की तरफ से कभी सीएम पद को लेकर दावा नहीं किया गया।
यह तब भी था जब हमारे पास दूसरे दलों से भी ज्यादा सीटें थीं। एनसीपी जब चाहे,
इस पद के लिए दावा कर सकती है’।
अजित के इस बयान के कुछ
देर बाद ही जारी की गई कर्नाटक विधानसभा के लिए स्टार प्रचारकों की सूची से अजित
पवार का नाम गायब था।
राज्य की राजनीति के
जानकार कहते हैं कि जूनियर पवार दबाव में हैं और पार्टी के प्रति अपनी वफादारी
साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।
अजित पवार के ऊपर दबाव का
कारण यह है कि शिवसेना की सरकार छोड़ने की धमकी के बाद बीजेपी ने अपने हाथ पीछे
खींच लिए थे। और बीजेपी का कहना है कि अजित पवार पार्टी में शामिल हों, कुछ विधायकों को लेकर समर्थन देने भर से काम
नहीं चलेगा। जबकि पवार बीजेपी में शामिल नहीं होना चाहते थे। लेकिन अजित पवार के
सीएम पद पर तुरंत कर सकने की स्थिति वाले बयान के बाद से उथल-पुथल फिर से शुरू हो
गई है।
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