महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना में बागियों के विद्रोह के बाद इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें रोका। ऐसा एक बार नहीं हुआ, बल्कि दो-दो बार हुआ। ऐसा मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है।
ऐसी रिपोर्ट तब आई है जब मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले ही फ़ेसबुक लाइव में कहा था कि वह 'अपने त्याग पत्र के साथ तैयार हैं'। इसी बीच वह नाटकीय रूप से मुंबई में मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले से बाहर चले गए और अपने परिवारिक घर 'मातोश्री' लौट गए। इसी दौरान ठाकरे के समर्थकों ने प्रदर्शन कर ताक़त दिखाई थी।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शिवसेना प्रमुख 'एक बार नहीं, बल्कि दो बार' इस्तीफा देने से रुक गए। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि उन्होंने उस नेता के नाम का खुलासा नहीं किया जिसने ठाकरे को रोका, लेकिन यह शरद पवार थे। वही जो महा विकास अघाडी गठबंधन के पीछे प्रमुख कड़ी रहे हैं। कहा जाता है कि उन्होंने वैचारिक रूप से विरोधी दलों को मिलाया। गठबंधन सरकार बनने के बाद भी जब कभी सरकार संकट में आई उन्होंने उसे बाहर निकालने का प्रयास किया। बागियों का संकट आने के बाद भी शिवसेना प्रमुख के साथ उन्होंने कई बैठकें की हैं।
इंडिया टुडे ने भी सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा है कि उद्धव ठाकरे आज महाराष्ट्र के सीएम पद से इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सीएम उद्धव को इस्तीफा नहीं देने के लिए मना लिया।
एक अन्य रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ठाकरे ने 21 जून को तब इस्तीफा दे दिया होता, जिस दिन एकनाथ शिंदे और 21 बागी बीजेपी शासित गुजरात के सूरत चले गए और उनसे संपर्क नहीं हो रहा था। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि उद्धव ठाकरे ने उसी दिन पद छोड़ने का फ़ैसला किया और शाम 5 बजे के आसपास फ़ेसबुक लाइवस्ट्रीम में इसकी घोषणा करने की योजना बनाई थी। सूत्रों ने कहा कि शिवसेना प्रमुख को लग रहा था कि कई और बागी आगे बढ़ने का इंतज़ार कर रहे हैं। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 'लेकिन उन्हें महा विकास अघाडी गठबंधन के सबसे बड़े नेता ने इस्तीफा नहीं देने के लिए मना लिया था।'
उसके अगले दिन ठाकरे ने फिर से अपने इस्तीफे की घोषणा करने का फ़ैसला किया। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने विदाई के तौर पर अधिकारियों की बैठक भी बुलाई। लेकिन शीर्ष नेता को एक बार फिर उनकी मंशा का पता चला और फिर दखल दिया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ठाकरे ने शाम 4 बजे एक फ़ेसबुक लाइव की घोषणा की थी, बड़े संकेतों के बीच कि वह इस्तीफा दे सकते हैं, लेकिन इसमें कम से कम आधे घंटे की देरी हुई। सूत्रों ने कहा है, 'इसमें देरी का कारण यह था कि शीर्ष नेता ने ठाकरे से इस्तीफा देने के बारे में बात करने की कोशिश की।' वरिष्ठ नेता ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री से कहा कि समस्या को रणनीतिक रूप से देखें और हार मानने के बजाय इससे लड़ें।
जब मुख्यमंत्री ने अंततः जनता से बात की तो उन्होंने कहा कि वह 'अपने त्याग पत्र के साथ तैयार हैं' लेकिन वह चाहते थे कि बाग़ी इसे उनके सामने कहें। ठाकरे ने कहा, 'अगर एक भी बागी मेरे पास आता है और मुझसे व्यक्तिगत रूप से शिकायत करता है तो मैं पद छोड़ दूंगा।'
अपनी राय बतायें