'जब राजनीतिक प्रक्रियाओं की हत्या हो रही हो तो कोर्ट मूकदर्शक बना नहीं रह सकता'; 'राष्ट्रपति कोई राजा नहीं होते जिनके फ़ैसलों की समीक्षा नहीं हो सकती, राष्ट्रपति और जज दोनों से भयानक ग़लतियां हो सकती हैं', ये दो टिप्पणियां हैं जो देश की शीर्ष अदालतों द्वारा की गयी हैं। ये टिप्पणियां भी ऐसे मामलों से जुड़ी हैं जब सत्ता के खेल में राज्यपाल और राष्ट्रपति के स्व विवेक के आधार पर लिए गए निर्णयों से सियासी संकट खड़े हुए हैं।