महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के ठीक पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की कम्बोडिया यात्रा को लेकर तमाम मीडिया में ख़बरें छायी रही थीं। महाराष्ट्र में चुनावी सभा में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो अपने भाषणों में उनकी विदेश यात्रा का ज़िक्र किया और कहा कि 'कांग्रेस के सेनापति तो लड़ाई से पहले ही मैदान छोड़ गए'। लेकिन महाराष्ट्र के इस चुनावी शोर में भारतीय जनता पार्टी का एक धड़ा ठीक वैसे ही ग़ायब हो गया है जैसे 2014 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मंच पर वर्षों नज़र आने वाले नेता!
महाराष्ट्र के प्रचार से गडकरी ग़ायब, क्या किनारे लगाये जायेंगे?
- महाराष्ट्र
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- 13 Oct, 2019

मोदी सरकार 1.0 में सबसे ज़्यादा किसी मंत्रालय के काम को सराहा गया था तो वह था नितिन गडकरी का जहाजरानी और भू-तल परिवहन मंत्रालय। लेकिन वही नितिन गडकरी महाराष्ट्र चुनाव में कहीं दिख क्यों नहीं रहे हैं?
लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता मोदी सरकार 1.0 में मार्गदर्शक मंडल में भेज दिए गए तो सुमित्रा महाजन जैसी नेताओं की राजनीति पर मोदी सरकार 2.0 में विराम लगा दिया गया। कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, भगत सिंह कोश्यारी, जयंती बेन पटेल को राज्यपालों की कुर्सियों तक समेट दिया गया। कुछ ऐसा ही फ़ॉर्मूला शायद महाराष्ट्र में भी लगाया गया है। प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे के संघर्ष के दौर वाली भारतीय जनता पार्टी के नेता आज प्रदेश के राजनीतिक मंच के नेपथ्य में नज़र आते हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का।