ऐसे समय जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा ज़ोरों से उठ रहा है, पुणे पुलिस ने कबीर कला मंच के तीन लोगों को भीमा कोरेगाँव में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस ने सागर गोरखे, रमेश गायचोर और ज्योति जगताप को जनवरी 2018 में दायर एक शिकायत के आधार पर अब गिरफ़्तार किया है।
तुषार दमगुडे की ओर से दायर कराई गई उस शिकायत में इन तीनों गिरफ़्तार लोगों के अलावा कवि सुधीर धवले, हर्षाली पोतदार और दीपक धेंगले के भी नाम थे।
क्या आरोप हैं?
राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी यानी एनआईए ने गिरफ़्तार किए गए लोगों पर धारा 153 (विभिन्न समुदायों के बीच धार्मिक आधार पर वैमनस्य बढ़ाना), धारा 505 (लोगों में घबराहट बढ़ाने, धारा 117 (हिंसा करने के लिए उकसाने) और धारा 34 (अपराध करने की मंशा रखने) लगाए गए हैं।एनआईए का कहना है कि इन लोगों के तार नक्सलियों से जुड़े हुए थे और यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। गोरखे और गायचोर ग़ैरसरकारी संगठन अभियान से जुड़े हुए हैं। 'अभियान' ने एक प्रेस बयान में कहा है कि एनआईए ने उन पर गवाह बनने के लिए दबाव डाला था।
'अभियान' का आरोप है कि उन लोगों को बार बार पूछताछ के लिए बुलाया गया और उस दौरान उन्हें डराया धमकाया गया कि उन्होंने बात न मानी तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा। उन पर यह दबाव भी डाला गया कि वे यह स्वीकार कर लें कि गढ़चिरौली जाकर उन्होंने नक्सलियों से मुलाक़ात की थी। ऐसा न करने पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।
याद दिला दें कि 1 जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगाँव में हिंसा हुई थी। दलित समुदाय के लोग 200 साल पहले दलितों और मराठाओं के बीच हुई लड़ाई में दलितों की जीत का जश्न मनाने के लिए हर साल वहां इकट्ठा होते हैं। लेकिन 2018 में 1 जनवरी को वहां दंगे भड़क गये थे। पुलिस का आरोप था कि कार्यक्रम के एक दिन पूर्व हुई यल्गार परिषद के आयोजकों के नक्सलियों से संबंध थे। पुलिस ने इस संबंध में 10 सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था जो इन दिनों जांच का सामना कर रहे हैं।
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