खडसे ने कहा है कि जब वह 2009 से लेकर 2014 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता थे तो उन्होंने इस मामले (महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला) को बेहद बारीक़ी से देखा है। खडसे ने कहा कि उन्होंने इस कथित घोटाले को लेकर कई बार आवाज़ उठाई लेकिन वह इतना दावे के साथ कह सकते हैं कि इस पूरे मामले में कहीं भी शरद पवार का नाम नहीं था। खडसे ने यह बात अपने गृह जिले जलगाँव में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
खडसे का बयान आने के बाद बीजेपी को इस मुद्दे पर भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि खडसे के बयान को एनसीपी और कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनायेंगे, यह तय माना जा रहा है।
खडसे ने आगे कहा, ‘मुझे इस बात पर आश्चर्य होता है कि उनका (शरद पवार) नाम इस मामले में कैसे आ गया।’ खडसे को एक समय महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता था लेकिन राज्य सरकार में राजस्व मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
पवार के समर्थन में प्रदर्शन
दूसरी ओर, शरद पवार के ख़िलाफ़ केस दर्ज होने के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने बुधवार को उनके गृह इलाक़े बारामती में जोरदार प्रदर्शन किया और इसका ख़ासा असर भी दिखाई दिया। बारामती में बड़ी संख्या में दुकानों के शटर डाउन रहे और एनसीपी कार्यकर्ताओं ने पुणे, नासिक, औरंगाबाद, मराठवाड़ा आदि इलाक़ों में प्रदर्शन कर बीजेपी को घेरने की कोशिश की।
पवार-शाह के बीच जुबानी जंग
हाल ही में जब महाराष्ट्र में आयोजित एक सभा में बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बयान दिया था कि शरद पवार यह बताएं कि उन्होंने 70 साल में महाराष्ट्र के लिए क्या किया? तो इस पर भी पवार ने तीख़ा पलटवार किया था। पवार ने कहा था कि 55 साल के राजनीतिक सफ़र में वह कभी जेल नहीं गये और जो लोग जेल की यात्रा कर चुके हैं, वे उनसे सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंने 70 साल में क्या किया है?
चुनाव के मौक़े पर विपक्ष के नेताओं के ख़िलाफ़ जाँच एजेंसियों के कसते शिकंजे से बीजेपी विपक्ष के निशाने पर है और महाराष्ट्र में तो उसे खडसे के बयान का जवाब देना बेहद मुश्किल हो जाएगा। कुल मिलाकर अब यह मुद्दा महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बहुत बड़ा हो सकता है और बीजेपी को इसका सियासी नुक़सान होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
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