महाराष्ट्र में ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में अब बीजेपी और महाराष्ट्र सरकार में शामिल दलों के बीच फिर से तनातनी बढ़ गई है। तनातनी इसलिए बढ़ी कि ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े फोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने रविवार को 2 घंटे से ज़्यादा समय तक देवेंद्र फडणवीस का बयान दर्ज किया। इस बयान दर्ज किए जाने के विरोध में बीजेपी कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों ने कई जगहों पर प्रदर्शन किया।
देवेंद्र फडणवीस को 2 दिन पहले ही मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने नोटिस जारी कर उन्हें रविवार को साइबर सेल के दफ्तर में अपना बयान दर्ज कराने का आदेश दिया था, लेकिन क़ानून व्यवस्था को लेकर ऐहतियातन साइबर सेल के अधिकारियों ने खुद फडणवीस के घर पर जाकर उनका बयान दर्ज किया। फडणवीस का दावा है कि महाराष्ट्र के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब किसी ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई तो उल्टे आवाज़ उठाने वाले का ही बयान मुंबई पुलिस दर्ज कर रही है।
मार्च 2021 में फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पुलिस विभाग की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सवाल खड़े किए थे। उसी दिन फडणवीस ने केंद्र सरकार के केंद्रीय गृह सचिव से मुलाक़ात कर पुलिस ट्रांसफर संबंधित कुछ सीक्रेट दस्तावेज केंद्रीय गृह सचिव को सौंपा था। इसके दो दिन बाद ही मुंबई पुलिस ने सीक्रेसी एक्ट के उल्लंघन के मामले में फडणवीस के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के घर मुंबई साइबर सेल के चार अधिकारियों की टीम सुबह क़रीब 12 बजे पहुँच गई थी। बताया जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस से साइबर सेल की टीम ने वे सभी सवाल जवाब किए जिससे यह पता लग सके कि पूर्व इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने किसके कहने पर महाराष्ट्र के पुलिस अधिकारियों और तत्कालीन विपक्ष के नेताओं के फोन रिकॉर्ड किए थे। इस रिकॉर्डिंग से ही ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामला सामने आया था।
साइबर सेल के सूत्रों से सत्य हिंदी को जानकारी मिली है कि बयान दर्ज करने वाली इस टीम ने देवेंद्र फडणवीस से यह भी पूछा कि आख़िर उनके पास इंटेलिजेंस कमिश्नर द्वारा रिकॉर्ड किए गए फोन की जानकारी और बातचीत की रिकॉर्डिंग कैसे मिली।
एसीपी नितिन जाधव की अगुवाई में 4 सदस्यीय टीम के बयान दर्ज करने जाने के दौरान फडणवीस के सरकारी बंगले ‘सागर’ के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। ऐसे उपाय इसलिए किए गए थे क्योंकि बीजेपी के नेताओं ने शनिवार को ही फडणवीस के समर्थन में जगह-जगह प्रदर्शन करने की धमकी दी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बयान दर्ज करने के लिए नोटिस दिए जाने के बाद बीजेपी ने पूरे महाराष्ट्र में प्रदर्शन किया और साइबर सेल द्वारा दिए गए नोटिस की कॉपी को जलाया।
बीजेपी के नेताओं ने एक सुर में देवेंद्र फडणवीस का बचाव करते हुए आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में लोकतंत्र का कोई नामोनिशान नहीं रहा है। मुंबई भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष मोहित कंबोज ने कहा कि ठाकरे सरकार दरअसल फडणवीस से घबरा गई है और उन्हें जानबूझकर नोटिस देकर उनको निशाना बनाया जा रहा है।
राजनीतिक बदले की कार्रवाई: फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज मुबंई पुलिस की एक टीम ने मुझसे ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में पूछताछ की और मेरा बयान दर्ज किया। मैंने उनके सारे सवालों के जवाब दिए हैं। फडणवीस ने साइबर सेल पर हमला करते हुए कहा कि जो सवाल साइबर सेल की इस टीम ने मुझे मेरा बयान लेने के लिए भेजे थे वे आज के साइबर सेल के अधिकारियों के पूछे गए सवाल से पूरी तरह अलग थे। उन्होंने आरोप लगाया कि इसका मतलब है कि सरकार अब राजनीतिक बदले के हिसाब से पूछताछ कर रही है। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में यह पहला मामला है कि जिस व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई पुलिस अब उसी से पूछताछ कर रही है।
फडणवीस ने आगे कहा कि साइबर सेल की टीम ने यह भी पूछा कि उन्होंने मीडिया को गोपनीय जानकारियाँ क्यों लीक की। इस पर फडणवीस ने कहा कि उन्होंने इस केस से जुड़े सभी कागजात केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दिए थे एवं मीडिया में सिर्फ़ कवर पेज को ही दिखाया गया था। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और फ़िलहाल जेल में बंद एनसीपी नेता नवाब मलिक ने ही मीडिया को इस केस से जुड़े हुए सभी कागजात मुहैया कराए थे।
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