महाराष्ट्र बनने के बाद से ही राज्य की राजनीति को कंट्रोल करने वाले मराठा वोट बैंक में सेंध लग गयी है और अब मराठा वोटर इतना भ्रम में है कि उसे समझ नहीं आ रहा है कि नेताओं के साथ जाए या अलग से अपना भला सोचे। इसका सीधा फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिलेगा क्योंकि अब तक मराठा वोट परंपरागत तौर पर कांग्रेस या शरद पवार की एनसीपी के साथ ही रहा है, लेकिन अब करीब 28 फीसदी ये वोट कई खानों में बंट गया है।
मराठा वोट बैंक अब बँट गया कई खानों में, फायदा बीजेपी को मिलेगा!
- महाराष्ट्र
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- 5 Mar, 2024

महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत के बाद से मचे उथल-पुथल का क्या मराठा वोटबैंक से कुछ लेनादेना है? क्या मराठा वोटरों में अब कन्फ्यूजन पैदा हो गया है और यदि ऐसा है तो इससे किसे फायदा होगा?
असल में बीजेपी का हमेशा से ये प्रयोग रहा है कि महाराष्ट्र में मराठों के मजबूत वर्चस्व को तोड़ने के लिए माधव फार्मूला यानी माली धनगर और वंजारी सारे ओबीसी को एक साथ लाया जाये और मराठा बनाम ओबीसी को तेज किया जाये जिससे मराठा अगर एक तरफ जायें तो पूरा ओबीसी बीजेपी के साथ आ जाये। इसका फायदा बीजेपी को 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला भी लेकिन अब बीजेपी उससे एक क़दम आगे बढ़ गयी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि संघ की सलाह पर बीजेपी ने मराठा वोट बैंक को ही अब कई खानों में बाँट दिया है। एकनाथ शिंदे के तौर पर मराठा सीएम बनाकर पहले तो शिवसेना का वोट बैंक तोड़ा, फिर कुछ दिन बाद अजित पवार को लेकर शरद पवार के मराठा वोट बैंक में सेंध लगा दी।