मनसुख हिरेन हत्याकांड में एक नया खुलासा हुआ है। मनसुख हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए निलंबित कांस्टेबल विनायक शिंदे की एक फ़ेसबुक पोस्ट ने उसकी मुश्किलें बढ़ा दीं और वह महाराष्ट्र एटीएस के हत्थे चढ़ गया। इस बात का खुलासा मनसुख हत्याकांड की जाँच कर रही एजेंसी एटीएस के एक अधिकारी ने किया है। एटीएस ने मनसुख केस एनआईए को सौंपने से पहले कांस्टेबल विनायक से काफ़ी पूछताछ की थी और उस पूछताछ में विनायक ने यह खुलासा किया था।
एटीएस की पूछताछ में विनायक ने बताया था कि जिस दिन यानी 4 मार्च को हिरेन मनसुख की हत्या की गई थी ठीक उसी दिन आरोपी विनायक शिंदे ने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी। इसमें लिखा, 'मुझे शतरंज पसंद है, क्योंकि इसका एक नियम बहुत अच्छा है। चाल कोई भी चले, पर अपने अपनों को नहीं मारते।' लेकिन असल ज़िंदगी में इसके उलट हुआ।
मनसुख की हत्या के दिन ही विनायक द्वारा फ़ेसबुक पोस्ट क्यों डाली गई, इस बारे में जब जाँच एजेंसियों ने विनायक से पूछा तो उसने कहा कि जाँच एजेंसियों का ध्यान डायवर्ट करने के लिए उसने ऐसा किया था। क्योंकि वह खुद क्राइम ब्रांच में रहा है, ऐसे में इस तरह की जाँच को डायवर्ट करने के बारे में वह जानता था। विनायक शिंदे को 21 मार्च को मनसुख हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया और उसके ठीक एक दिन पहले उसने फ़ेसबुक पर एक और पोस्ट शेयर की थी जिसे बाद में उसने डिलीट कर दिया था।
मनसुख की हत्या के दौरान और बाद में भी वह सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव था। एटीएस की जाँच के दौरान जो जानकारियाँ सामने आईं उसमें हत्या के एक दिन पहले 3 मार्च को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में मनसुख हिरेन के साथ सचिन वाजे और विनायक शिंदे दोनों मौजूद थे। इसी मुलाक़ात में मनसुख को विनायक और वाजे ने बहुत समझाया कि वह मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन प्लांट करने की ज़िम्मेदारी ले ले और गिरफ्तार हो जाए, बाद में उसे जमानत पर बाहर निकालने में वाजे और विनायक मदद करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, लेकिन जब मनसुख और उनकी पत्नी ने ऐसा करने से मना कर दिया तो फिर 4 मार्च को मनसुख के मर्डर का प्लान तैयार कर लिया गया।
4 मार्च की रात मनसुख की हत्या
4 मार्च को वाजे ने मनसुख को तावड़े के नाम से कॉल किया और फिर उसे ठाणे के घोडबंदर इलाक़े में बुलाकर उसका मर्डर कर दिया गया। एटीएस के अधिकारी ने यह भी बताया कि मनसुख को मौत के घाट उतारने के बाद विनायक शिंदे ने फ़ेसबुक पर यह पोस्ट कर दी कि 'मुझे शतरंज पसंद है, क्योंकि इसका एक नियम बहुत अच्छा है। चाल कोई भी चले, पर अपने अपनों को नहीं मारते।'
एटीएस के इस बड़े अधिकाारी का कहना है कि उन्होंने विनायक शिंदे और सचिन वाजे के ख़िलाफ़ इतने सुबूत इकठ्ठे कर लिए थे कि अगर महाराष्ट्र सरकार जिलेटिन वाला केस मुंबई क्राइम ब्रांच को न देकर महाराष्ट्र एटीएस को दे देती, तो बहुत जल्द एटीएस इसका खुलासा कर देती।
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