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मनसुख हिरेन केस में शनिवार सुबह मुंबई पुलिस महकमे में उस समय खलबली मच गई जब इस मामले में जांच अफ़सर रहे सचिन वाजे ने वॉट्स एप पर एक स्टेटस शेयर किया। इसमें उन्होंने अपने साथी अफ़सरों द्वारा उन्हें इस केस में फंसाए जाने का आरोप लगाया है। सचिन वाजे ने स्टेटस में यह भी लिखा है कि कि अब दुनिया से विदा लेने का समय नजदीक आ रहा है। इसके बाद मुंबई पुलिस के आला अफ़सरों ने सचिन वाजे से संपर्क कर उनसे कहा कि वे किसी भी तरह का गलत क़दम न उठाएं।
मुंबई क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के पूर्व हेड वाजे ने स्टेटस में लिखा है कि मार्च 2004 में सीआईडी के उनके साथियों ने उन्हें झूठे केस में फंसाया था और अब 17 साल बाद भी उनके साथी उन्हें झूठे केस में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। वाजे ने लिखा कि अब उनके पास ना तो 17 साल जीने के लिए जिंदगी होगी और ना ही करने के लिए नौकरी।
उधर, सचिन वाजे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मनसुख की पत्नी द्वारा सचिन वाजे पर लगाए गए हत्या के आरोप के बाद सचिन ने गिरफ्तारी से बचने के लिए ठाणे की सेशंस कोर्ट में शुक्रवार को अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की थी जिस पर अदालत ने वाजे को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।
इसके साथ ही अदालत ने अगली सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी को भी हाजिर रहने का आदेश दिया है। इस दौरान कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर जांच एजेंसी चाहे तो सचिन वाजे को गिरफ्तार कर सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 19 मार्च को होगी।
बता दें कि सचिन वाजे उस समय मुश्किलों में घिर गए थे जब मनसुख हिरेन की पत्नी ने सचिन वाजे पर अपने पति की हत्या का आरोप लगाया था। मनसुख की पत्नी ने कहा था कि उनके पति आत्महत्या नहीं कर सकते उनकी किसी साजिश के तहत हत्या की गई है। इसके बाद मनसुख की पत्नी ने महाराष्ट्र एटीएस में एफ़आईआर दर्ज कराई थी और सीधा आरोप सचिन वाजे पर लगाया था कि उनके पति की हत्या के पीछे सचिन वाजे का ही हाथ है।
मनसुख की पत्नी के आरोप के बाद ही मुंबई पुलिस ने सचिन वाजे का मुंबई क्राइम ब्रांच से स्पेशल ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया था।
मनसुख हिरेन के बड़े भाई विनोद हिरेन का कहना था कि मनसुख बहुत अच्छा तैराक था। वह इलाके के बच्चों को तैराकी सिखाता था ऐसे में आत्महत्या करने का सवाल नहीं उठता। उनके मुताबिक़, अगर मनसुख आत्महत्या करने के लिए खाड़ी में छलांग भी लगाता तो वह तैरकर बाहर आ सकता था।
विनोद का कहना है कि हत्या के इस केस को बेवजह आत्महत्या का रूप दिया जा रहा है और हम चाहते हैं कि पुलिस इस मामले की सच्चाई के साथ जांच करे और न्याय दे। विनोद ने स्कॉर्पियो कार के बारे में भी खुलासा करते हुए कहा कि स्कॉर्पियो कार उनके भाई के पास पिछले 3 साल से थी हालांकि यह किसी और के नाम पर थी।
मनसुख हिरेन मौत मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने सचिन वाजे से पूछताछ की थी। पूछताछ में सचिन वाजे ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था। एटीएस ने सचिन वाजे से पूछा था कि वे मनसुख हिरेन को कैसे जानते थे तो जवाब में वाजे ने कहा था कि वह मनसुख की ऑटो मोबाइल की दुकान पर कई बार उससे मिल चुके थे, इसलिए वह काफी समय से मनसुख को जानते थे।
मनसुख की पत्नी ने आरोप लगाया है कि मनसुख की स्कॉर्पियो कार 4 महीने से आपके पास थी, इस सवाल पर वाजे ने कहा था कि उसे स्कॉर्पियो कार चलानी ही नहीं आती और वह सिर्फ ऑटोमैटिक कार ही चलाता है।
सूत्रों के मुताबिक, वाजे ने एटीएस को एक सवाल के जवाब में बताया कि वो 25 फरवरी को घटनास्थल पर सबसे बाद में पहुंचे थे। सबसे पहले एटीएस की टीम, गांव देवी पुलिस स्टेशन के बीट मार्शल, सीनियर इंस्पेक्टर और डीसीपी पहुंचे थे। सचिन वाजे ने घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने की ख़बर को गलत बताया है।
ठाणे की सेशंस कोर्ट से अंतरिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद अगर महाराष्ट्र एटीएस चाहे तो सचिन वाजे को गिरफ्तार कर सकती है।
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