अभी तक के सियासी घमासान से यह भी तय है कि शिवसेना बीजेपी के सामने क़तई नहीं झुकेगी चाहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संघ प्रमुख के दरबार में हाजिरी लगायें या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के।
ख़बर में कहा गया है कि सूत्रों के मुताबिक़, शिवसेना के नेताओं ने राज्यपाल से मुलाक़ात के दौरान 1989 में जनता दल को आमंत्रित करने वाले वेंकटरमण का उल्लेख किया था, जिसमें राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने के निमंत्रण को खारिज कर दिया था।
मंगलवार रात को फडणवीस नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में भी पहुंचे थे और उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी। इससे पहले मंगलवार दिन में फडणवीस ने बीजेपी कोर कमेटी की बैठक भी बुलाई थी। इस सबके बाद कहा जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े नेता नितिन गडकरी से इस विवाद को सुलझाने के लिये कह सकता है।
बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 105 सीटें मिली हैं और वह सबसे बड़ा दल है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा तो है कि राज्य में सरकार का गठन जल्द ही होगा लेकिन 8 नवंबर तक वह कैसे बहुमत के लिये ज़रूरी 145 विधायकों के आंकड़े तक पहुंच पायेंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय राउत ने तीख़े तेवर दिखाये थे। राउत ने कहा था कि गवर्नर से मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई है और बातचीत सकारात्मक रही है। शिवसेना नेता ने कहा था कि हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बने लेकिन अगर सरकार नहीं बन पा रही है तो इसके लिए शिवसेना जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा था कि सरकार के गठन में शिवसेना कहीं भी रोड़ा नहीं बन रही है।
राउत ने बीजेपी को ललकारा था
मंगलवार को भी संजय राउत ने एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बीजेपी को ललकारा था और जोर देकर कहा था कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा। चुनाव नतीजे आने के बाद से अभी तक शिवसेना इस बात को कई बार कह चुकी है कि मुख्यमंत्री उसका ही बनेगा। राउत ने यह भी कहा था कि महाराष्ट्र का फ़ैसला महाराष्ट्र में ही होगा। राउत का इशारा देवेंद्र फडणवीस की बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से हुई मुलाक़ात और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से हुई मुलाक़ात की ओर था।
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