महाराष्ट्र में आप यदि राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणाओं से बम-बम हैं तो राज्य की आर्थिक हालत भी देख लीजिए। पहले से राज्य ने जो कर्ज ले रखे हैं उसको भुगतान करने का समय आ गया है और सात साल में पौने तीन लाख करोड़ रुपये चुकाने होंगे। लेकिन यदि इन कर्ज को चुकाने से पहले ही ऐसी घोषणाएँ कर दी जाएँ कि देश का खजाना ही खाली हो जाए तो भुगतान कहाँ से होगा? कहीं ऐसी तो नौबत नहीं आ जाएगी कि और कर्ज ही लेना पड़ जाए?
कर्ज तले दबे महाराष्ट्र में चुनाव से पहले कौन कर रहा है 'रेवड़ी' राजनीति?
- महाराष्ट्र
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- 11 Nov, 2024
एमवीए और महायुती दोनों गठबंधन ने मतदाताओं से दुनिया भर के वादे किए हैं, लेकिन ये पैसे आएँगे कहां से? पहले से ही कर्ज में दबे महाराष्ट्र की हालत और ख़राब तो नहीं हो जाएगी? जानें कर्ज को लेकर सीएजी ने क्या रिपोर्ट दी है।

राज्य में राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणाओं के रूप में 'रेवड़ियाँ' बाँटे जाने से कुछ हफ़्ते पहले ही भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ने राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर जो रिपोर्ट दी है वह चेताने वाली है। 14 मई को आख़िरी वित्तीय वर्ष के लिए सीएजी की राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट एकनाथ शिंदे सरकार को दी गई और इसे 12 जुलाई को विधानसभा में पेश किया गया।