महाराष्ट्र में आप यदि राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणाओं से बम-बम हैं तो राज्य की आर्थिक हालत भी देख लीजिए। पहले से राज्य ने जो कर्ज ले रखे हैं उसको भुगतान करने का समय आ गया है और सात साल में पौने तीन लाख करोड़ रुपये चुकाने होंगे। लेकिन यदि इन कर्ज को चुकाने से पहले ही ऐसी घोषणाएँ कर दी जाएँ कि देश का खजाना ही खाली हो जाए तो भुगतान कहाँ से होगा? कहीं ऐसी तो नौबत नहीं आ जाएगी कि और कर्ज ही लेना पड़ जाए?