शिवसेना में आए सियासी तूफान की वजह से महा विकास आघाडी सरकार को जाना पड़ा। लेकिन अब अगली जंग शिवसेना पर कब्जे को लेकर हो सकती है। बागी विधायकों का खेमा इसके संकेत दे चुका है।
ठाणे से आने वाले एकनाथ शिंदे पुराने शिवसैनिक हैं और वह उन आनंद दिघे के राजनीतिक शिष्य हैं जिनके होते हुए बालासाहेब ठाकरे भी ठाणे में शिवसेना के काम में दखल नहीं देते थे। पार्टी में हुई बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने दिखाया है कि वह कितने ताकतवर हैं।
55 विधायकों वाली शिवसेना में 39 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं। शिंदे ने बार-बार कहा है कि वे सभी लोग बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को आगे ले जाने का काम करेंगे और वे शिवसेना में ही रहेंगे। क्योंकि ऐसी चर्चा थी कि वे किसी दूसरे राजनीतिक दल में जा सकते हैं।
उनके शिवसेना में ही रहने की सूरत में जबरदस्त जंग होगी क्योंकि शिवसेना के प्रमुख की कुर्सी पर उद्धव ठाकरे बैठे हैं। ऐसे में शिवसेना में किसका हुकुम चलेगा और इस जबरदस्त बगावत के बाद शिवसेना महाराष्ट्र में कैसे खड़ी हो पाएगी और क्या वह मुंबई तक ही सिमट जाएगी, यह एक बड़ा सवाल शिवसेना के सामने खड़ा हो गया है।
सभी प्रमुख नेता मुंबई से
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, उनके बेटे बाल ठाकरे, शिवसेना के तमाम बड़े नेता जैसे अनिल परब से लेकर सुभाष देसाई, संजय राउत, अनिल देसाई, वरुण सरदेसाई यह सभी मुंबई के हैं।
इसके अलावा शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु और विधायक दल के नए नेता बनाए गए अजय चौधरी भी मुंबई के ही विधायक हैं।
पार्टी में हुई बगावत के बाद शिवसेना ने कार्रवाई करते हुए एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया था और जब यह खबर आई कि बागी विधायक शिवसेना बालासाहेब नाम से अपनी नई पार्टी बनाएंगे तो उद्धव ठाकरे की टीम ने चुनाव आयोग में दस्तक देने की बात कही थी।
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ऐसे में शिवसेना के सामने मुंबई से बाहर निकल कर अन्य इलाकों में पार्टी कैडर को फिर से खड़ा करना और चुनाव लड़के जीत हासिल करना निश्चित रूप से मुश्किल होगा। ठाणे के साथ ही विदर्भ, उत्तरी महाराष्ट्र और कोंकण में भी शिवसेना को अपने आधार को फिर से खड़ा करना होगा।
शिवसेना का बॉस कौन?
बगावत करने वाले विधायक निश्चित रूप से अब एकनाथ शिंदे को अपना नेता स्वीकार कर चुके हैं और ऐसे में शिवसेना का बॉस कौन होगा, यह तय करना आसान नहीं होगा। शिवसेना पर कब्जे को लेकर कानूनी जंग अदालतों तक भी पहुंच सकती है।
असली शिवसेना किसकी है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके सिपहसालारों के लिए ढाई साल तक सरकार चलाने के बाद अब वक्त चकाचौंध वाली मुंबई से बाहर निकलकर महाराष्ट्र की खाक छानने का है तभी वे शिवसेना को फिर से खड़ा कर पाएंगे।
हालांकि महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना बहुत मजबूत नहीं है और उसके पास विधानसभा में 55 विधायक ही थे जबकि बीजेपी के पास 106 विधायक हैं और एनसीपी के पास 54 विधायक हैं।
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