महाराष्ट्र में सियासी तूफान चरम पर है। महाराष्ट्र सरकार ने अब बागी विधायकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने बागी विधायकों और उनके परिवारों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली है। जिस पर बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने कड़ी आपत्ति जताई है।
एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल को चिट्ठी लिखकर कहा है कि बागी विधायकों के परिवारों को कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
शिंदे ने चिट्ठी में लिखा है कि पंजाब में कुछ लोगों की सुरक्षा हटा दी गई थी और उसके बाद एक बड़ी घटना हुई थी।
लेकिन महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील ने कहा है कि न तो मुख्यमंत्री और न ही गृह विभाग ने राज्य के किसी विधायक की सुरक्षा वापस लेने का आदेश दिया है और
इस संबंध में लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं।
शिंदे ने चिट्ठी में लिखा है कि हमारा मनोबल तोड़ने के लिए महा विकास आघाडी सरकार ने एनसीपी और कांग्रेस के गुंडों की शह पर यह फैसला लिया है।
विधायकों के दफ़्तर पर तोड़फोड़
शिंदे ने लिखा है कि हमारे सभी विधायकों ने महाराष्ट्र को इसलिए छोड़ा था क्योंकि हमें सुरक्षा को लेकर खतरा था। शिंदे ने आगे लिखा है कि हमारे परिवार और सगे संबंधियों की सुरक्षा इसलिए हटाई गई है क्योंकि महा विकास आघाडी सरकार के कुछ लोग हिंसा के जरिए हमें डराना चाहते हैं। जिस तरह शुक्रवार को हमारे कई विधायकों के दफ़्तर पर तोड़फोड़ की गई है उससे यह संकेत साफ साफ दिखाई दे रहा है कि सरकार की क्या मंशा है।
एकनाथ शिंदे ने संजय राउत के उस बयान का हवाला देते हुए कहा है जिसमें उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि शिवसैनिक अभी सड़कों पर नहीं उतरे हैं लेकिन जरूरत पड़ी तो सड़कों पर जरूर उतरेंगे।
शिंदे ने चिट्ठी में पंजाब की उस घटना का भी हवाला दिया है जिसमें पंजाब सरकार ने गायक सिद्धू मूसेवाला की सुरक्षा को हटा लिया था लेकिन अगले ही दिन बदमाशों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। शिंदे ने कहा है कि हमारी सरकार से यही मांग है कि प्रोटोकॉल के हिसाब से हमारे परिवार को तत्काल प्रभाव से सुरक्षा दी जाए।
शिंदे ने आखिर में लिखा है कि अगर हमारे परिवार को कुछ भी होता है तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सांसद संजय राउत और आदित्य ठाकरे उसके लिए जिम्मेदार होंगे।
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