बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि महाराष्ट्र के बाद झारखंड, राजस्थान और बंगाल का नंबर आएगा। बता दें कि यह तीनों ही राज्य गैर बीजेपी शासित राज्य हैं।
झारखंड और राजस्थान में ऑपरेशन लोटस के द्वारा यहां की सरकारों को गिराए जाने की कोशिशों के आरोप बीजेपी पर लगते रहे हैं। जबकि बंगाल में ममता बनर्जी के पास प्रचंड बहुमत है और वहां ऐसा होना लगभग नामुमकिन है।
शुभेंदु अधिकारी टीएमसी में थे लेकिन बीते साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था।
शुभेंदु अधिकारी बंगाल के कूच बिहार जिले में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि पहले महाराष्ट्र की स्थिति को हल होने दीजिए उसके बाद झारखंड और फिर राजस्थान का नंबर आएगा। अधिकारी ने कहा कि इसके बाद पश्चिम बंगाल में उनके साथ (टीएमसी) भी यही होगा।
अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार 2026 तक नहीं चलेगी और 2024 में ही चली जाएगी।
जनता देगी जवाब: टीएमसी
टीएमसी के सांसद सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी के बयान से पता चलता है कि महाराष्ट्र के सियासी संकट के पीछे बीजेपी का हाथ है। उन्होंने कहा कि बीजेपी हर विपक्ष शासित राज्य के पीछे पड़ी हुई है और देश की जनता उसे इसका करारा जवाब देगी।
बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद से ही नगर निगम, स्थानीय निकाय, लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में टीएमसी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी है।
बीजेपी की इंजीनियरिंग
महाराष्ट्र में शिवसेना के भीतर हुई जबरदस्त बगावत के बाद से ही माना जा रहा था कि इसमें बीजेपी का हाथ है। सूरत और गुवाहाटी के होटलों में ठहरे बागी विधायकों की आवभगत करने जब बीजेपी के बड़े नेता पहुंचे तो यह बात साफ हो गई और जब कई बागी विधायकों को वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा देने, एकनाथ शिंदे के राष्ट्रीय पार्टी का समर्थन होने जैसे कई और वाकये हुए तो यह साफ हो गया कि महाराष्ट्र के सियासी संकट के पीछे बीजेपी की इंजीनियरिंग है।
शुभेंदु अधिकारी ने खुद इस बात को कह कर इसे और मजबूती दी है। ऐसे में निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र में पैदा हुए सियासी संकट के पीछे बीजेपी है और उसके नेता खुलकर इसे स्वीकार भी कर रहे हैं।
ऑपरेशन लोटस
पिछले 8 सालों में उत्तराखंड से लेकर मध्य प्रदेश और कर्नाटक से लेकर मणिपुर सहित कई राज्यों में बीजेपी पर ऑपरेशन लोटस के जरिए विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को गिराने का आरोप लगता रहा है। झारखंड और राजस्थान को लेकर भी इस तरह की शिकायतें सामने आ चुकी हैं।
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