महाराष्ट्र में संकट बरकरार है। यह साफ है कि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के पास पूरे विधायक नहीं हैं। उनके पास करीब 22 विधायक सूरत के होटल में हैं। शिंदे को अभी 16 विधायक और चाहिए, ताकि 37 विधायक होने पर दल बदल कानून लागू न हो सके। तभी वो बीजेपी से समझौता करके उद्धव की सरकार गिरा सकते हैं। इसलिए शिंदे किसी बाहरी मदद का इंतजार कर रहे हैं। यह काम बिना बीजेपी की मदद के नहीं होता है। मंगलवार को पूरा दिन गुजर जाने के बावजूद बीजेपी ने अभी सरकार गिराने और अपनी सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। शिंदे के पास अगर 37 शिवसेना विधायक होते तो मंगलवार को ही दावा पेश कर दिया गया होता।
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव के सामने बीजेपी से गठबंधन की जो शर्त रखी है, उसके दूर-दूर तक पूरा होने की उम्मीद नहीं है। मंगलवार को तो सरकार बच गई लेकिन बुधवार के बारे में कोई नहीं जानता। महाराष्ट्र सरकार गिराने में बीजेपी की भूमिका अब सामने आ गई है। उसके विधायक संजय कुंठे के नेतृत्व में सूरत पहुंच गए हैं और एकनाथ शिंदे से मुलाकात कर रहे हैं। अगले कुछ घंटे महाराष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
अगर कांग्रेस या एनसीपी या फिर शिवसेना के कुछ विधायक टूटते हैं तो उद्धव सरकार का बचना नामुमकिन हैं। यही वजह है की एनसीपी और कांग्रेस भी अपने विधायकों को समेटने में लगी हुई हैं। 134 विधायकों के दम पर बीजेपी सरकार बनाने का सपना नहीं देख सकती। पर्दे के पीछे तमाम तरह की गतिविधियां जारी हैं। दिल्ली से पैनी नजर रखी जा रही है। मामला विधायकों की संख्या पर फंस गया है।
कहा जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह औऱ महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस बुधवार को गुजरात जा रहे हैं। उनके जाने का महाराष्ट्र के घटनाक्रम से संबंध है या नहीं, यह साफ नहीं है। लेकिन बुधवार को तस्वीर साफ हो जाएगी।
इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के बीच आज शाम 10 मिनट की टेलीफोन पर हुई बातचीत गतिरोध से बाहर निकलने का रास्ता बताने में विफल रही है।
इस बातचीत से इस बात की पुष्टि हो गई कि शिंदे और उद्धव के बीच दरार पड़ चुकी है।
मुख्यमंत्री के खास मिलिंद नार्वेकर ने शिंदे की फोन से उद्धव से बात कराई थी।
शिंदे ने उद्धव से कहा कि उन्होंने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है या किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। शिंदे ने उनसे कहा कि उन्होंने पार्टी की बेहतरी के लिए यह कदम उठाया है।
सूत्रों ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे ने उनसे पुनर्विचार करने और वापस लौटने को कहा, तो शिंदे ने मांग की कि शिवसेना बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को फिर से करे और संयुक्त रूप से महाराष्ट्र पर शासन करे।
एक सूत्र ने कहा, 'अभी तक इस बातचीत से कोई समाधान नहीं निकला है। हालांकि शिंदे का इस मौके पर हिन्दू कार्ड खेलने का अर्थ यही है कि वो उद्धव कैंप में नहीं लौटना चाहते। उनकी बीजेपी से किन शर्तों पर बात हुई है, अभी वो बात भी सामने नहीं आई। इसलिए महाराष्ट्र सरका का गिरना इतना आसान भी नहीं है। अगले कुछ घंटे का इतंजार तस्वीर साफ करेगा।
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