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सीएम देवेंद्र फडणवीस (बायें)। दूसरे फोटो में धनंजय मुंडे आरोपी कराड के साथ

महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे का इस्तीफा, फडणवीस क्यों नहीं दबा सके मामला

महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे को मंगलवार को इस्तीफा देना पड़ा। बीड में एक सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद मुंडे विवादों में चल रहे थे। मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड को मामले में आरोपी बनाया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार देर रात को डिप्टी सीएम और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार, अन्य वरिष्ठ एनसीपी नेताओं के साथ बैठक की। दरअसल, सोमवार को ही सोशल मीडिया पर मसजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या से जुड़ी तस्वीरें, वीडियो वायरल हो गये थे। इसके बाद मुख्यमंत्री के सामने उनसे इस्तीफा मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। मुख्यमंत्री ने धनंजय मुंडे का इस्तीफा राज्यपाल के पास भेज दिया है।

शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे ने कहा है कि सरपंच की हत्या में धनंजय मुंडे को सह आरोपी बनाया जाना चाहिए। बीजेपी विधायक सुरेश दास ने मुंडे का इस्तीफा आने के बाद मुख्यमंत्री से मिलकर उनका धन्यवाद किया। बीजेपी में सुरेश दास ऐसे अकेले विधायक थे जो इस मामले पर लगातार बयान दे रहे थे। 
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बीड जिले के मसजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या 9 दिसंबर 2024 को हुई थी। इस मामले पर शुरू से लीपापोती की जाती रही। हालांकि मंत्री धनंजय मुंडे और मुख्य आरोपी के संबंधों का खुलासा विपक्ष ने पहले ही कर दिया था, लेकिन बीजेपी सरकार मुंडे को बचाती रही। विपक्ष के दबाव बनाने पर मामला अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को सौंप दिया गया। सीआईडी ने चार्जशीट पेश की। जिसमें चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट से पता चलता है कि सरपंच देशमुख की हत्या बहुत वहशियाना तरीके से की गई थी। सीआईडी ने उसके प्रमाण फोटो और वीडियो के रूप में कोर्ट में पेश किये हैं। यही फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर सोमवार को वायरल हुए थे।
सीआईडी चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों ने देशमुख को बेरहमी से मारते हुए 15 वीडियो रिकॉर्ड किए और आठ तस्वीरें लीं। उन्होंने हमले के दौरान दो व्हाट्सएप वीडियो कॉल भी की। ये वीडियो दो सेकंड से लेकर दो मिनट से अधिक की अवधि के हैं, जिनमें देशमुख को पीटते और अपमानित करते हुए दिखाया गया है।

जुल्म की इंतेहा

 सीआईडी चार्जशीट के मुताबिक हमलावरों ने उन्हें चोट पहुंचाने के लिए हैंडल वाली 41 इंच की गैस पाइप, पांच क्लच तारों वाली लोहे की रॉड, लकड़ी के डंडे और तेज हथियारों का इस्तेमाल किया। सरपंच को अर्धनग्न अवस्था में जमीन पर बैठने के लिए मजबूर किया गया। उन्हें लात मारी गई, मुक्के मारे गए और विभिन्न वस्तुओं से प्रहार किया गया। एक वीडियो में, एक आरोपी को देशमुख को उसकी तारीफ में नारा लगाने के लिए मजबूर करते हुए देखा जा सकता है। एक अन्य क्लिप में, एक हमलावर को गंभीर रूप से घायल सरंपच पर पेशाब करते हुए दिखाया गया है।

देशमुख का अपहरण 9 दिसंबर, 2024 को एक टोल प्लाजा से छह लोगों ने किया था और उन्हें एक एसयूवी में ले जाया गया। उसके पीछे एक अन्य वाहन भी था। उसी शाम उन्हें नंदुर घाट रोड के पास दैथणा में बेहोश अवस्था में पाया गया। एक पुलिस खोज दल ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके शरीर पर कई चोटों के निशान थे, जो लंबे समय तक चली मारपीट की ओर इशारा करते थे। जांच में पता चला कि यह हत्या एक बदला थी। जिसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था। दरअसल, एक ऊर्जा कंपनी से आरोपी फिरौती मांग रहे थे लेकिन सरपंच संतोष देशमुख ने आरोपियों की फिरौती की कोशिश को नाकाम कर दिया। यह कंपनी उनके गांव के पास है।
सीआईडी ने हत्या के संबंध में सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें महाराष्ट्र मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मीकि कराड भी शामिल है। एक व्यक्ति अभी भी फरार है। जांच में यह भी पता चला है कि मुख्य आरोपियों में से एक सुदर्शन घुले बीड, अंबाजोगाई, केज और धाराशिव जिलों में सक्रिय एक अपराध सिंडिकेट चलाता है। उसके गैंग का 11 गंभीर आपराधिक मामलों से संबंध है, जिनमें अपहरण और एक्सटॉर्शन शामिल हैं। मई 2024 में, घुले ने एक ऊर्जा फर्म के प्रोजेक्ट अधिकारी को फिरौती के लिए अगवा किया था, जिसकी रिपोर्ट केज पुलिस में दर्ज की गई थी।

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देशमुख की प्रताड़ना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद ही इस मामले में दबाव बना। हालांकि अधिकारियों ने उसे आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया था। लेकिन सोशल मीडिया पर देखने के बाद जनता का गुस्सा बढ़ गया। इस समय विधानसभा का बजट सत्र भी चल रहा है। इससे पहले कि मंगलवार से आंदोलन जोर पकड़ता, फडणवीस ने आपातकालीन बैठक बुलाई। इसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के अलावा एनसीपी नेता सुनील तटकरे, प्रफुल्ल पटेल, और मंत्री धनंजय मुंडे शामिल हुए। इस बैठक में फडणवीस ने सीधे इस्तीफा मांगा। लेकिन यह तथ्य सामने आना बाकी है कि इस बैठक में धनंजय मुंडे को क्यों बुलाया गया। जबकि फैसला उन्हीं के खिलाफ होना था। समझा जाता है कि मुंडे को कोई न कोई आश्वासन मुख्यमंत्री से जरूर मिला है।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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