महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाला कुनबा महायुति बिखरने के कगार पर पहुंच गया है। अजीत पवार वाली एनसीपी के एमएलसी और पार्टी प्रवक्ता अमोल मितकारी का कहना है कि अगला राज्य विधानसभा चुनाव महायुति के दल अलग-अलग लड़ सकते हैं। साथ ही उन्होंने प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी से गठबंधन का संकेत दिया है।
लोकसभा चुनाव में करारी हार से भाजपा बहुत आहत महसूस कर रही है और विधानसभा चुनाव से पहले वो महायुति से एनसीपी अजीत पवार को निकालने के लिए सक्रिय हो गई है। हाल ही में जब देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में राज्य भाजपा के नेताओं ने अमित शाह के पास दिल्ली जाकर हार के कारणों पर चर्चा की तो उसमें अमित शाह ने फडणवीस को फ्री हैंड देने की बात कही। इस पर फडणवीस ने सुझाव दिया कि एनसीपी अजीत पवार से लोकसभा चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ। अब वो गठबंधन के लिए बोझ बन गए हैं। विधानसभा चुनाव में फिर वो ज्यादा टिकटों की मांग करेंगे। समस्या और बढ़ेगी।
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अमित शाह से फडणवीस को फ्री हैंड मिलने के बाद अचानक ही आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर और पॉन्चजन्य में लेख आया कि अजीत पवार अब महायुति पर बोझ हैं। भाजपा को उनसे छुटकारा पा लेना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि फडणवीस ने अजीत पवार को बाहर करने के लिए एकनाथ शिंदे को विश्वास में ले लिया है और शिंदे गुट भी चाहता है कि एनसीपी अजीत पवार को बाहर कर दिया जाए। आरएसएस के मुखपत्र में छपे लेख का अजीत पवार गुट की ओर से भारी विरोध जताया गया। लेकिन उस पर फडणवीस और शिंदे ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही अजीत पवार को मनाने का प्रयास किया।
इसी घटनाक्रम के बीच एनसीपी अजीत पवार के एमएलसी और पार्टी प्रवक्ता अमोल मितकारी का बयान आ गया, जिससे संकेत मिलता है कि अजीत पवार अब नए गठबंधन की तलाश में है। यह तय है कि वो विधानसभा चुनाव महायुति में रहकर नहीं लड़ेंगे। सूत्रों ने कहा कि अजीत पवार ने जब वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के प्रकाश अंबेडकर से गठबंधन की बातचीत चलाई तो अंबेडकर ने कहा कि आप पहले भाजपा से नाता तोड़िए तब कोई बात होगी।
हालांकि मितकारी ने कहा कि महायुति के रूप में एक साथ चुनाव लड़ने की कोशिश जारी है। लेकिन सभी दल अलग-अलग भी लड़ सकते हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि हालांकि, एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में, मुझे लगता है कि अगर प्रकाश अंबेडकर, जो एक बड़े नेता हैं, अजीत दादा के साथ आते हैं, तो महाराष्ट्र में समीकरण बदल जाएंगे। लेकिन यह मेरी इच्छा है।
मितकारी के बयान के बाद वीबीए के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष राखताई ठाकुर ने कहा, "अजीत पवार का समूह तब तक हमारे साथ आने के बारे में सोचे भी नहीं, जब तक वह बीजेपी गठबंधन से बाहर नहीं निकल जाता।"
अजीत पवार पछता रहे
जून-जुलाई 2023 में, अजीत पवार ने अपने गुरु और चाचा शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री बनने के लिए एनडीए खेमे में शामिल हो गए। इसी वजह से जून-जुलाई 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए की महाराष्ट्र सरकार को गिरा दिया गया था। शिंदे और अजीत पवार के पीछे भाजपा और देवेंद्र फडणवीस की ताकत थी। दोनों ही मूल पार्टियां शिंदे और पवार की वजह से बंट गई। चुनाव आयोग ने अपने विवादित फैसलों में दोनों पार्टियों के मूल चुनाव चिह्न और झंडा शिंदे और अजीत पवार को आवंटित कर दिया। लोकसभा चुनाव में भाजपा, अजीत पवार और शिंदे गुट मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ 13 सीटों पर सिमट गए। जिसमें भाजपा को 9 सीटें मिलीं। जबकि 2019 में उसे 23 सीटें मिली थीं। एमवीए को इस बार लोकसभा की 30 सीटें मिलीं।
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अजीत पवार के कई विधायक अब उनका साथ छोड़कर शरद पवार की एनसीपी में जाने के लिए संपर्क कर रहे हैं। शरद पवार ने कहा कि कुछ विधायकों को लिया भी जा सकता है। लेकिन राजनीति के इस खेल में अजीत पवार अब अकेले होते जा रहे हैं। चाचा ने उन्हें वापस लेने से मना कर दिया क्योंकि अब उन पर भरोसा नहीं रहा। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में अजीत पवार की रही सही साख और भी खत्म होने वाली है। जिस भाजपा के कहने पर उन्होंने एनसीपी को तोड़ा था, वो भी अब उनका साथ छोड़ रही है।
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