महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने आखिरकार वित्त विभाग की कड़ी आपत्तियों के बाद राज्य भाजपा प्रमुख चन्द्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता वाले एक सार्वजनिक ट्रस्ट को नागपुर में 5 हेक्टेयर भूमि (12.35 एकड़) "सीधे आवंटन" के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार के पास वित्त मंत्रालय है। हालांकि भाजपा अध्यक्ष के ट्रस्ट को सीधे जमीन देने का प्रस्ताव राजस्व मंत्रालय ने किया था। लेकिन अजित पवार के आगे भाजपाई कोटे से राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की कुछ भी नहीं चल सकी। पाटिल ही जमीन दिलाने के लिए मेहनत कर रहे थे।
श्री महालक्ष्मी जगदंबा संस्थान, कोराडी को सीधे जमीन आवंटित करने वाले राजस्व विभाग के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए वित्त विभाग ने कहा कि "भाजपा अध्यक्ष का ट्रस्ट उच्च और तकनीकी शिक्षा में सक्रिय नहीं लगता है।" भाजपा अध्यक्ष ने शैक्षणिक गतिविधियां चलाने के नाम पर जमीन मांगी थी। इस घटनाक्रम से पता चलता है कि जिस भी राज्य में भाजपा सरकार आती है, वहां के भाजपा नेता स्कूल, कॉलेज, मंदिर, दफ्तर, आरएसएस का कार्यालय खोलने के नाम पर जमीन आवंटित करवा लेते हैं। देश के कई राज्यों में बेशकीमती जमीनों को भाजपा को कौड़ियों के दाम देकर इसी तरह शहर दर शहर उनके दफ्तर खड़े कर दिये गए हैं।
राजस्व विभाग, जिसके प्रमुख भाजपा के मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल हैं, ने अब ट्रस्ट को सार्वजनिक ट्रस्टों को भूमि आवंटन के लिए सरकारी प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है। यानी जमीन तो मिलेगी, लेकिन अब सीधे आवंटन नहीं होगा, बल्कि जो सरकारी प्रक्रिया है, उसी के तहत आवेदन करना होगा। महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा होते ही इस पर रोक भी लग जाएगी और अगली सरकार जिसकी बनेगी, वो इस पर फैसला लेगा।
अपनी सफाई में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बावनकुले ने कहा कि यह एक पुराना ट्रस्ट है और वह केवल दो साल के लिए इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने सफाई में कहा- “यह कोई निजी मामला नहीं है। मैं धार्मिक उद्देश्य के लिए काम कर रहा हूं। यह नेक काम है। हमारा ट्रस्ट जमीन की रेडी रेकनर दर का भुगतान करेगा और इसे पट्टे पर लेगा। यह मेरी निजी संपत्ति नहीं होगी।'' उन्होंने वित्त विभाग के फैसले पर कुछ कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ''हम कोई गैरकानूनी काम नहीं करेंगे और हर नियम का पालन करेंगे।''
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