महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पद छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर कहा है कि वह सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते हैं। राज्य में लगातार विपक्ष के निशाने पर रहे भगत सिंह कोश्यारी का यह फ़ैसला चौंकाने वाला है। इसकी घोषणा भी उन्होंने खुद ही की है।
राजभवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'माननीय प्रधानमंत्री की हाल की मुंबई यात्रा के दौरान, मैंने उन्हें सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने और अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने और अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है।'
I have always received the love and affection from the Hon’ble Prime Minister and I hope to receive the same in this regard.
— Governor of Maharashtra (@maha_governor) January 23, 2023
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा है, 'संतों, समाज सुधारकों और वीर सेनानियों की भूमि महाराष्ट्र जैसे महान राज्य के राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में सेवा करना मेरे लिए पूर्ण सम्मान और सौभाग्य की बात थी।'
आगे उन्होंने कहा, 'पिछले 3 साल से कुछ ज्यादा समय के दौरान महाराष्ट्र की जनता से जो प्यार और स्नेह मुझे मिला है, उसे मैं कभी नहीं भूल सकता।'
इस्तीफ़े की उनकी पेशकश ऐसे समय में आई है जब वह हाल में विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। हाल में उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर विवादित बयान दे दिया था। कोश्यारी ने कह दिया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने युग के हीरो थे जबकि डॉक्टर आंबेडकर, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नए युग के हीरो हैं। कोश्यारी बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी में नवंबर महीने में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे।
कोश्यारी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था, “जब वह हाई स्कूल में पढ़ते थे तो शिक्षक पूछते थे कि आपका फेवरेट नेता कौन है, तो उस वक्त कुछ लोगों को सुभाष चंद्र बोस, कुछ लोगों को नेहरू, कुछ लोगों को गांधीजी अच्छे लगते थे। मुझे ऐसा लगता है कि अगर कोई आपसे कहे कि आप का आइकॉन कौन है, आप का नेता कौन है तो आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है। आपको यहीं महाराष्ट्र में मिल जाएंगे। शिवाजी तो पुराने युग की बात हैं। नए युग में डॉक्टर अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक सब आपको यही मिल जाएंगे।”
कोश्यारी के बयान के बाद राज्य में कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुए थे। कोश्यारी के खिलाफ दिसंबर महीने में पुणे बंद रखा गया था। इसके तहत शहर के बाजार, स्कूल और आॉटो आदि सब बंद रहे थे।
एक प्रमुख मराठा संगठन संभाजी ब्रिगेड सहित कई अन्य संगठनों और विपक्षी दलों ने इसमें भागीदारी की थी। बंद का आह्वान संभाजी ब्रिगेड, एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने किया। लेकिन बाद में अन्य राजनीतिक दलों और कारोबारियों के संगठन ने समर्थन दिया था। इस बीच ख़बर थी कि गवर्नर को लेकर दिल्ली से मुंबई तक दबाव बढ़ गया। बीजेपी के सांसद तक कोश्यारी को हटाने की मांग कर चुके थे।
उस ख़त में कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज का ज़िक्र करते हुए कहा था कि जब कोरोना काल में पूरा देश बंद था तो वह महाराष्ट्र के किलों जैसे शिवनेरी, सिंहगढ़, प्रतापगढ़ और रायगढ़ पर गये थे और इन किलों पर वे हेलीकॉप्टर से नहीं बल्कि अपनी गाड़ी से और पैदल चलकर गये थे। ऐसे में इन महापुरुषों के अपमान का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। कोश्यारी ने लिखा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज मेरे हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
2019 में जब महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी कर रहा था तब भी कोश्यारी विवादों में रहे थे। नवंबर, 2019 में कोश्यारी ने तड़के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी।
राजस्थानी-गुजराती विवाद
पिछले साल जुलाई में अंधेरी में एक कार्यक्रम के दौरान कोश्यारी के द्वारा दिए बयान को लेकर विवाद हो गया था। कोश्यारी ने कहा था कि महाराष्ट्र से खासतौर पर मुंबई और ठाणे से अगर गुजराती और राजस्थानी समाज के लोग निकल गए तो यहां पैसा नहीं बचेगा और यह लोग अगर चले गए तो देश की आर्थिक राजधानी भी मुंबई नहीं रह जाएगी।
उस वक्त शिवसेना से लेकर कांग्रेस, एनसीपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने कोश्यारी के बयान का पुरजोर विरोध किया था।
सेक्युलर वाले बयान पर विवाद
कुछ साल पहले कोश्यारी के द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बारे में दिए गए एक बयान को लेकर भी विवाद हुआ था। तब कोश्यारी ने कहा था, ‘क्या आपको कोई दैवीय प्रेरणा मिल रही है कि आप मंदिर नहीं खोल रहे हैं। क्या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं? पहले तो आप इस शब्द से ही नफरत करते थे।’ तब महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के कारण राज्य के धार्मिक स्थलों को खोलने से इनकार किया था।
महा विकास आघाडी सरकार के कार्यकाल के दौरान शिवसेना लगातार राज्यपाल कोश्यारी पर हमलावर रही थी। शिवसेना ने कई बार मांग की थी कि केंद्र सरकार राज्यपाल को वापस बुलाए। शिवसेना ने कहा था कि राज्यपाल को बीजेपी के एजेंडे पर नाचने के लिए मजबूर किया जाता है।
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