महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी गई है। दिन में महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी जिसमें यह कहा गया कि फ़िलहाल संविधान के हिसाब से सरकार बनना असंभव है। ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। केंद्र सरकार ने आनन-फानन में कैबिनेट बैठक बुलाकर गवर्नर की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति शासन लगाने का फ़ैसला कर लिया। ऐसे में सवाल यह है कि क्या राज्यपाल ने निष्पक्ष भूमिका निभाई? या वह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे थे?
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन, राज्यपाल की भूमिका पर सवाल
- महाराष्ट्र
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- 12 Nov, 2019

महाराष्ट्र में राज्यपाल क्या निष्पक्ष भूमिका निभा रहे हैं? क्या सभी दलों के साथ वह समान ढंग से पेश आ रहे हैं? क्या आगे वह निष्पक्ष भूमिका निभाएँगे?
क्या सभी दलों के साथ वह समान ढंग से पेश आ रहे थे? राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत का आँकड़ा नहीं मिलने के बाद सत्ता स्थापित करने का खेल पिछले 20 दिनों से चल रहा था। और ऐसे में सबकी नज़रें राज्यपाल पर टिकी हुई थीं। राज्यपालों की भूमिका उस समय से ही संदेह के घेरे में आने लगी जब से इन पदों का राजनीतिकरण होने लगा है। यानी इन पदों पर सत्ताधारी दल अपनी पार्टी के रिटायर होने वाले नेताओं को बिठाने लगी है। जिस-जिस प्रदेश में सत्ता का समीकरण अपूर्ण बहुमत के साथ उलझने लगता है वहाँ यह सवाल खड़े होने लगता है कि क्या राज्यपाल ने निष्पक्ष भूमिका निभाई?