महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में सबसे बड़ा राजनीतिक दल होने के कारण बीजेपी को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित तो किया है लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी सरकार बना पाएगी? चुनाव नतीजे आने के बाद से ही चले राजनीतिक घमासान में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के मुद्दे पर टस से मस नहीं हुई। दूसरी ओर, बीजेपी भी अड़ी रही और नतीजतन अभी तक राज्य में सरकार का गठन नहीं हो सका है।
राजभवन की ओर से देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया है कि राज्य में बीजेपी के विधायक दल का नेता कौन है। राजभवन की ओर से कहा गया है कि चुनाव नतीजे आये 15 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक किसी भी दल या गठबंधन ने सरकार बनाने की पहल नहीं की है। राजभवन की ओर से यह बयान आने के बाद बीजेपी ने महाराष्ट्र इकाई के पदाधिकारियों की अहम बैठक रविवार को बुलाई है और इसमें सरकार के गठन को लेकर पार्टी चर्चा करेगी।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी विधानसभा में अपना बहुतम सिद्ध कर पाती है या नहीं। क्योंकि वह बहुमत के लिये ज़रूरी विधायकों के आंकड़े से काफ़ी दूर है। लेकिन सवाल यही है कि बीजेपी सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का ज़रूरी समर्थन जुटाएगी कैसे?
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 सीटें मिली हैं और उसने कुछ निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों का समर्थन जुटाने की कोशिश की है। लेकिन पूरा जोर लगाने के बाद भी यह आंकड़ा 145 तक पहुंचता नहीं दिखता।
क्या बीजेपी से नाता तोड़ेगी शिवसेना?
अभी तक के सियासी घमासान से यह स्पष्ट है कि शिवसेना बीजेपी के सामने क़तई नहीं झुकेगी चाहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संघ प्रमुख के दरबार में हाजिरी लगायें या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के। तो क्या सीएम की कुर्सी के मुद्दे पर शिवसेना बीजेपी से नाता तोड़ लेगी? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एक तो शिवसेना का रुख इस मामले में कड़ा और स्पष्ट है दूसरा महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि राज्य में शिवसेना-एनसीपी की सरकार बन सकती है और कांग्रेस इसे बाहर से समर्थन दे सकती है। लेकिन इसके लिये शर्त यह रखी गई है कि शिवसेना को बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ना होगा।
चुनाव नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना बीजेपी पर ख़ासी हमलावर रही है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत कई बार बीजेपी को ललकार चुके हैं और यहाँ तक कह चुके हैं कि वे पहले बीजेपी को सरकार बनाने का मौक़ा देंगे और उन्हें विधानसभा में हराकर नई सरकार बनाने का काम शुरू कर देंगे।
दूसरी ओर, ख़बरों के मुताबिक़ महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों ने आलाकमान से गुहार लगाई है कि वह शिवसेना-एनसीपी के नेतृत्व में अगर सरकार बनती है तो उसे बाहर से समर्थन देने पर विचार करे। राज्य इकाई के नेता जब पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिले थे तब उन्होंने आलाकमान से कहा था कि पार्टी को बीजेपी को महाराष्ट्र की सत्ता से दूर रखने के लिये ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए। कांग्रेस कर्नाटक में ऐसा कर चुकी है जहाँ बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिये उसने कम विधायकों वाली पार्टी जेडीएस को मुख्यमंत्री पद देकर उसके साथ सरकार बनाई थी। महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं की भी ऐसी ही मंशा है।
एनसीपी ने दिये सरकार बनाने के संकेत
एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा है कि उनकी पार्टी विधानसभा में बीजेपी के ख़िलाफ़ वोट डालेगी और इस पर नज़र रखेगी कि शिवसेना बीजेपी के ख़िलाफ़ वोटिंग करती है या नहीं। मलिक ने यह भी कहा कि एनसीपी राज्य में वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश करेगी।
मलिक ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, ‘राज्यपाल को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि बीजेपी के पास बहुमत है या नहीं, वरना वह ख़रीद-फरोख़्त करने की कोशिश करेगी। इसके बावजूद, अगर बीजेपी राज्य में सरकार बनाती है तो हम विधानसभा में उसके ख़िलाफ़ वोट डालेंगे।’
एनसीपी नेता ने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार गिर जाती है तो राज्य के हित में हम वैकल्पिक सरकार बनाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि एनसीपी ने 12 नवंबर को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है और इसमें पार्टी प्रमुख शरद पवार भी भाग लेंगे।
राज्यपाल ने बीजेपी से 11 नवंबर तक बहुमत साबित करने के लिये कहा है। बीजेपी के पास बहुमत के लिये ज़रूरी विधायक नहीं हैं और शिवसेना उसे समर्थन देने के लिये तैयार नहीं है, ऐसे में क्या महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता जारी रहने पर राष्ट्रपति शासन लग जायेगा या फिर शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनेगी, जिसे कांग्रेस बाहर से समर्थन देगी या फिर बीजेपी जोड़तोड़ करके ज़रूरी विधायकों का आंकड़ा जुटा लेगी, यह देखने वाली बात होगी।
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