महाराष्ट्र में बीजेपी और महा विकास अघाडी सरकार के बीच चल रही सियासी अदावत में एक नया अध्याय जुड़ गया है। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने सोमवार को बीजेपी के 12 विधायकों को एक साल के लिए सदन से निलंबित कर दिया है। इन विधायकों पर आरोप हैं कि इन्होंने स्पीकर के साथ अभद्रता की और उन्हें ग़लत शब्द कहे।
जबकि बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस तरह के आरोप पूरी तरह झूठ हैं।
ओबीसी आरक्षण को लेकर हंगामा
सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में ओबीसी के आरक्षण को लेकर हंगामा हुआ। हंगामे के बाद विधानसभा स्पीकर की ओर से यह कार्रवाई की गई। महाराष्ट्र बीजेपी के नेता आशीष सेलार ने कहा है कि ओबीसी के आरक्षण को बचाने के लिए देवेंद्र फडणवीस अपनी बात रख रहे थे लेकिन उन्हें बात नहीं रखने दी गयी। बीजेपी नेताओं ने कहा है कि यह कार्रवाई जनता की हत्या है।उबल रहा है महाराष्ट्र
बता दें कि महाराष्ट्र इन दिनों नौकरी और दाख़िले में मराठा आरक्षण और ओबीसी के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षण के सवाल पर उबल रहा है। राजनीतिक दल कोरोना को पीछे छोड़कर आरक्षण के सवाल पर सड़क पर हैं। सभी दलों की निगाहें अगले साल होने वाले स्थानीय निकायों के चुनावों पर हैं, इसलिए आरक्षण की इस आग को और भड़काया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ताल ठोक रहे हैं कि उनको सत्ता मिले तो चार महीने में आरक्षण के सवाल को हल कर देंगे। वहीं, कांग्रेस एनसीपी इसके लिए उन्हें ही दोषी मान रही है। शिवसेना अब तक संभलकर चल रही है और मुख्यमंत्री की सलाह है कि आरक्षण के सवाल पर जातिगत बंटवारा ना करें।
लगातार भिड़ंत
साल 2019 में महाराष्ट्र में जब शिव सेना ने बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाकर सरकार बनाई थी, तब यह सवाल उठा था कि क्या यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी।
बीते साल जब सुशांत प्रकरण की जांच मुंबई पुलिस से ले ली गई, जांच एजेंसियों ने शिव सेना विधायकों के वहां छापेमारी की, कंगना ने मुंबई को पीओके और महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहा, उसके बाद कंगना को गृह मंत्रालय से सुरक्षा मिलने और उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करने वाले रिपब्लिक चैनल के प्रमुख अर्णब गोस्वामी को बीजेपी का समर्थन मिलने और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान परिषद सदस्य चुने जाने के मुद्दे पर ठाकरे सरकार और बीजेपी आमने-सामने रहे।
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