पिछले साल जुलाई में, अजीत पवार और कई अन्य विधायक शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए, जिससे शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन हो गया। बाद में चुनाव आयोग ने अजीत के नेतृत्व वाले समूह को असली एनसीपी घोषित कर दिया। इसी तरह शिवसेना भी टूटी थी। असली शिवसेना से एकनाथ शिंदे अलग हुए थे जो सीएम बन गए। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट की शिवसेना को असली शिवसेना घोषित कर दिया। भारतीय राजनीति के इतिहास में चुनाव आयोग के ये दोनों फैसले अब राजनीतिक धब्बा और उसकी निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगा चुके हैं।
अपनी गलती स्वीकार करते हुए अजीत पवार ने कहा- "मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं। किसी को भी राजनीति को घरों में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए। मैंने अपनी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारकर गलती की। ऐसा नहीं होना चाहिए था। लेकिन (एनसीपी के) संसदीय बोर्ड ने एक निर्णय लिया। अब मुझे लगता है यह गलत था।'' यह पूछे जाने पर कि क्या वह अगले सप्ताह रक्षा बंधन पर अपने चचेरे भाई से मिलने जाएंगे, एनसीपी नेता ने कहा कि वह इस समय दौरे पर हैं और अगर वह और उनकी बहनें उस दिन एक जगह पर होंगे, तो वह उनसे जरूर मिलेंगे।
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