महाराष्ट्र में जब से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाडी की सरकार बनी है, उसे एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है। पहले बीजेपी से और दूसरा राज्यपाल से। ताज़ा विवाद यह है कि महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण को लेकर देश का सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य है, इसलिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अभी तक मंदिरों को खोलने की इजाजत नहीं दी है लेकिन बीजेपी को यह रास नहीं आ रहा है।
बीजेपी ने मंगलवार को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया है और उसका कहना है कि जब रेस्तरां खोलने की इजाजत दे दी गई है तो मंदिरों को खोलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। मुंबई के अलावा पुणे व अन्य दूसरे शहरों में भी बीजेपी के नेता सड़क पर उतरे हैं और वहीं पर पूजा-आरती कर रहे हैं। बीजेपी को इसमें समर्थन मिला है, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का।
कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को बेहद तीखी चिट्ठी लिखी है। उन्होंने उद्धव पर तंज कसते हुए लिखा है कि आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं और ख़ुद को भगवान राम का भक्त बताते हैं। लेकिन क्या अब आप सेक्युलर हो गए हैं? उद्धव ने भी चिट्ठी का जवाब देते हुए लिखा है कि उन्हें हिंदुत्व के लिए किसी के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है। उद्धव ने कहा, 'मुंबई को पीओके बताने वाली का स्वागत करने वाले हिंदुत्व के मेरे पैमाने पर खरे नहीं उतरते। सिर्फ़ धार्मिक संस्थानों को खोल देना हिंदुत्व नहीं है।'
कंगना के मामले में एंट्री
महाराष्ट्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार और कंगना रनौत के बीच चले घमासान में भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एंट्री ले ली थी। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा कंगना के ऑफ़िस में तोड़फोड़ करने पर कोश्यारी ने नाराज़गी जताई थी और इसे लेकर केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने इस पर नाराज़ होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने उस चिट्ठी में कहा है कि वह राज्यपाल की भाषा पर आश्चर्यचकित हैं।
It was brought to my notice through the media, a letter written by the Hon. Governor of Maharashtra to the @CMOMaharashtra
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) October 13, 2020
In this letter the Hon. Governor has sought the intervention of the Chief Minister to open up religious places for the public. pic.twitter.com/1he2VOatx3
रिश्तों में रही है कड़वाहट
पिछले साल नवंबर में लोग तब अवाक रह गए थे जब एक दिन सुबह यह पता चला कि राज्यपाल कोश्यारी ने राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन रात को ही हटा दिया और तड़के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिला दी थी। शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट के फ़ैसले के तुरंत बाद फ़्लोर टेस्ट किया गया और फडणवीस सरकार को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। तब शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने राज्यपाल को लेकर तीख़े बयान दिए थे।इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान मंडल का सदस्य बनने के वक्त भी राज्यपाल कोश्यारी अड़ गए थे। ठाकरे को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा या विधान मंडल में से किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना था और तब विधान परिषद में मनोनयन कोटे की दो सीटें रिक्त थीं। राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से इन दो में से एक सीट पर ठाकरे को मनोनीत किए जाने की सिफ़ारिश की थी। लेकिन राज्यपाल अड़ गए थे और शिवसेना ने उन पर राजभवन को राजनीतिक साज़िशों का केंद्र बना देने का आरोप लगाया था।
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