कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा एक बार फिर अपने परिवारवालों की वजह से मुसीबतों से घिरते नज़र आ रहे हैं। उनके लिए मुसीबत की सबसे बड़ी वजह बन रहे हैं उनके बेटे विजयेंद्र। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि कर्नाटक सरकार में सभी बड़े फ़ैसले विजयेंद्र ही ले रहे हैं और 77 साल के येदियुरप्पा सिर्फ नाम मात्र के मुख्यमंत्री रह गए हैं।
बीजेपी नेताओं को भी आपत्ति
गौर करने वाली बात यह है कि विजयेंद्र किसी सरकारी या प्रशासनिक पद पर नहीं हैं। वे न विधायक हैं और न ही सांसद। सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा इन दिनों ज़्यादातर बैठकें मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास 'कावेरी' में कर रहे हैं। इन बैठकों में विजयेंद्र भी मौजूद रहते हैं। विपक्ष को ही नहीं बल्कि बीजेपी के कई नेताओं को भी इन बैठकों में विजयेंद्र की मौजूदगी पर आपत्ति है।
कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैय्या विजयेंद्र को 'कर्नाटक का सुपर सीएम' कहते हुए येदियुरप्पा पर राजनीतिक हमले बोल रहे हैं।
विजयेंद्र का स्टिंग ऑपेरशन
हाल ही में एक कन्नड़ टीवी न्यूज चैनल ने एक स्टिंग ऑपेरशन प्रसारित किया था। टीवी चैनल का दावा था कि उसके पास विजयेंद्र के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के सबूत हैं। इस प्रसारण के बाद कर्नाटक पुलिस ने टीवी चैनल के न्यूज़ रूम और दफ्तर पर छापे मारे और हार्ड डिस्क, सर्वर आदि ज़ब्त कर लिया। सर्वर ज़ब्त होने की वजह से टीवी चैनल का प्रसारण रुक गया। कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने येदियुरप्पा और उनके परिवारवालों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इस्तीफ़ा देने की माँग की।
सिद्दारमैय्या का आरोप है कि बेंगलुरू डेवलपमेंट अथॉरिटी की 666 करोड़ लागत वाली एक निर्माण परियोजना में घोटाला हुआ है और इसमें विजयेंद्र शामिल हैं। सिद्दारमैय्या ने मामले की जांच कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या फिर उच्चतम न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से करवाने की माँग की है।
आरोपों को नकारा
उधर, विजयेंद्र विपक्ष के आरोपों को निराधार बता रहे हैं। उनका कहना है कि विपक्षी पार्टियाँ येदियुरप्पा की लगातार बढ़ती लोकप्रियता को पचा नहीं पा रही हैं और इसी वजह से उनके परिवारवालों पर बेबुनियाद आरोप लगा रही हैं और एक साज़िश के तहत मुख्यमंत्री को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं।
अपनी सफाई में विजयेंद्र यह दलील देते हैं कि वे अपने पिता येदियुरप्पा और बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच सेतु का काम करते हैं और इसी वजह से लोग उनसे मिलने आते हैं। विजयेंद्र बीजेपी की कर्नाटक इकाई के उपाध्यक्ष भी हैं।
येदियुरप्पा के नाती का मामला
विजयेंद्र विपक्षी पार्टियों के निशाने पर उस समय आये, जब एक अखबार ने येदियुरप्पा के नाती शशिधर मार्डी को तीन शेल कंपनियों से पाँच करोड़ रुपये मिलने की बात का खुलासा किया। येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके नाती शशिधर दो अलग-अलग कंपनियों में निदेशक बने। इन्हीं दो कंपनियों को कुछ शेल कंपनियों से पाँच करोड़ मिले।
विपक्ष का आरोप है कि यह मामला बेंगलुरू डेवलपमेंट अथॉरिटी घोटाले से जुड़ा है और रिश्वत की यह रकम शेल कंपनियों के माध्यम से अदा की गयी। इतना ही नहीं, राशि का सारा लेन-देन विजयेंद्र के निर्देशन में हुआ।
येदियुरप्पा को बदलने की चर्चा
विजयेंद्र बीजेपी नेतृत्व को इसके लिए मनाने की भी कोशिश कर रहे हैं कि उनमें नेतृत्व क्षमता है और वे अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सफल नेतृत्व कर सकते हैं। विजयेंद्र की इन्हीं कोशिशों की वजह से कर्नाटक में बीजेपी के कई नेता येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ हो गये हैं। कुछ बड़े नेता अपने समर्थकों के बीच यह भी कहने लगे हैं कि येदियुरप्पा को जल्द ही बदला जाएगा। यही वजह है कि कुछ नेता पूरी ताकत लगाकर येदियुरप्पा की जगह लेने की कोशिश में जुट गये हैं और इन दिनों लगातार दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष भी चाहते हैं कि येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाये। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह येदियुरप्पा को बनाये रखने के पक्ष में हैं।
कर्नाटक की राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगर येदियुरप्पा ने अपने परिवारवालों की सरकारी कामकाज में दख़लअंदाज़ी बंद नहीं करवाई तो उन्हें इसका नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
‘पुत्र-मोह’ ले डूबेगा?
बड़ी बात यह भी है कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब येदियुरप्पा पर अपने परिवारवालों खासकर बेटों को बढ़ावा देना का आरोप लगा है। जब-जब वे मुख्यमंत्री बने, तब-तब विजयेन्द्र पर सरकारी कामकाज में दखल देने का आरोप लगा।
खनन घोटाले में बेटे के साथ अपना नाम आने की वजह से 2011 में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। तब भी यही कहा गया कि पुत्र-मोह की वजह से येदियुरप्पा सत्ता गंवा बैठे। इस मामले में येदियुरप्पा बरी हो गए और दुबारा अपनी खोई हुई लोकप्रियता हासिल की। लेकिन एक बार फिर ‘पुत्र-मोह’ के चलते उनकी लोकप्रियता और कुर्सी दोनों खतरे में नज़र आ रही हैं।
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