टीआरपी घोटाले में नाम सामने आने के बाद से ही लगातार मुसीबतें झेल रहे रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ मुंबई पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी की संपादकीय टीम के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है।
एनएम जोशी मार्ग पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया है। इन धाराओं के तहत तीन साल की जेल हो सकती है और ये ग़ैर जमानती धाराएं हैं।
मुंबई पुलिस के सब इंस्पेक्टर शशिकांत पवार की शिकायत पर रिपब्लिक टीवी की डेप्युटी एडिटर सागरिका मित्रा, एंकर शिवानी गुप्ता, डेप्युटी एडिटर शावन सेन, एग्जीक्यूटिव एडिटर निरंजन नारायणस्वामी, न्यूज़ रूम इंचार्ज और संपादकीय टीम के सभी लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है।
[Breaking] NM Joshi Marg Police Registers FIR against @republic TV Journalist u/s 3(1) Police (Incitement to Disaffection) Act 1922, r/w Sec. 500, 34 IPC ]@Republic_Bharat @MumbaiPolice @CPMumbaiPolice #RepublicTV #ArnabGoswami https://t.co/XKOaxJNuKQ pic.twitter.com/0L5tRK6oPJ
— Live Law (@LiveLawIndia) October 23, 2020
एफ़आईआर में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि रिपब्लिक टीवी की ओर से एक ख़बर चलाई गई, जिससे मुंबई महानगर के पुलिसकर्मियों के बीच असंतोष भड़काने की कोशिश की गई और मुंबई पुलिस की मानहानि भी की गई।
एफ़आईआर में कहा गया है कि शिकायतकर्ता शशिकांत पवार 22 अक्टूबर को शाम 7 बजे रिपब्लिक टीवी देख रहे थे। इस दौरान उन्होंने टीवी पर ‘आज रात की सबसे बड़ी ख़बर’ का स्लग देखा। इसमें एंकर शिवानी गुप्ता कह रही थीं कि ‘परमबीर के ख़िलाफ़ विद्रोह’। परमबीर सिंह मुंबई पुलिस के आयुक्त हैं।
पवार के मुताबिक़, एंकर शिवानी गुप्ता ने कहा कि परमबीर सिंह पुलिस फ़ोर्स का नाम बदनाम कर रहे हैं और अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पुलिस से मिली ताक़त का इस्तेमाल कर रहे हैं। पवार के मुताबिक़, एंकर ने यह भी कहा कि कई अफ़सर उनसे ख़ुश नहीं हैं।
पवार ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एंकर शिवानी ने कहा, ‘रिपब्लिक टीवी के पास इस बात की एक्सक्लूसिव जानकारी है कि मुंबई पुलिस के आला अफ़सरों के ख़िलाफ़ विद्रोह हो सकता था।’
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी ने कहा है कि चैनल के एक हज़ार मीडियाकर्मियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। एफ़आईआर की कॉपी का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर है लेकिन वह साफ पढ़ने में नहीं आ रहा है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कितने लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है और इस मामले में अभी पुलिस का भी कोई बयान नहीं आया है।
टीआरपी घोटाले का शोर
महाराष्ट्र सहित देश भर में इन दिनों टीआरपी घोटाले को लेकर जबरदस्त शोर है। कुछ दिन पहले मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने फ़र्जी टीआरपी घोटाले की बात कही थी और रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनलों का इसमें नाम सामने आया था। टीआरपी मापने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
मुंबई पुलिस की मानें तो टीआरपी में हेरफेर का यह मामला सिर्फ मुंबई और महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है और इसकी जड़ें अन्य राज्यों तक भी फैली हुई हैं।
अदालत की तगड़ी फटकार
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिपोर्टिंग के तरीके को लेकर रिपब्लिक चैनल को हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने तगड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा था कि खोजी पत्रकारिता करने का अधिकार सबको है लेकिन वह करते हुए नियम-क़ायदों का एक दायरा है जिसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अदालत ने रिपब्लिक टीवी के वकील से कहा था, ‘क्या आपको नहीं पता कि हमारे संविधान में जांच का अधिकार पुलिस को दिया गया है? आत्महत्या के मामले के नियम क्या आप लोगों को नहीं पता हैं? यदि नहीं पता हैं तो सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के नियमों को पढ़ लीजिये।’
अदालत ने आगे कहा था, ‘जब किसी मामले की जांच चल रही है कि वह आत्महत्या है या हत्या? ऐसे में क्या आप अपने चैनल से चिल्ला-चिल्लाकर कह सकते हैं कि यह हत्या है? आप ‘रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार करो’ की मुहिम अपने चैनल के माध्यम से या सोशल मीडिया पर कैसे चला सकते हैं? यह किस प्रकार की खोजी पत्रकारिता है?’
एक विज्ञापन कंपनी गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशन की शिकायत पर दो दिन पहले लखनऊ पुलिस ने टीआरपी घोटाले को लेकर एफ़आईआर दर्ज की और उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश कर दी थी। मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को हैरानी तब हुई जब 24 घंटे के अंदर ही केंद्र सरकार ने इसकी सीबीआई से जांच करने की अनुमति दे दी और एजेंसी ने तुरंत मामला भी दर्ज कर लिया। इससे शक पैदा हो रहा है कि क्या किसी को बचाने के लिए सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित संस्था का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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